Latest News BIhar Politic’s: ठगिनी राजनीति बिहार में आज कर्तव् दिखाने वाली है। सच तो यही है कि बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से जो होता दिख रहा है उसमे अब किसी का कोई इकबाल नहीं है। न तो नीतीश कुमार की कोई साख बची है और नहीं बीजेपी के प्रति लोगों का मोह। यह अलग बात है कि बीजेपी को लग रहा है कि पिछले कुछ सालों में बिहार की जनता पर उसका खूब असर हुआ है लेकिन दूसरा सच यह भी है कि लाख कोशिश करने के बाद भी वह अकेले सत्ता पर काबिज नहीं पाई है। बिहार की जनता अभी तक फ्री होकर बीजेपी को सत्ता सौपने को तैयार नहीं है। बिहार के लोगों को पता है कि अगर बीजेपी फ्री होकर सत्ता पर काबिज हो गई तो बिहार का जो मिजाज है वह भी कुंद हो जाएगा और बिहार समाज भी धार्मिक उन्माद में फंसता चला जाएगा। यही वजह है कि बीजेपी को बिहार की जनता वोट तो देती है लेकिन सम्पूर्ण रूप से सत्ता नहीं सौप पाती है। बीजेपी को इसके लिए किसी तीसरे दल का सहारा लेना होता है और यह सब बीजेपी पिछले दो दशक से कटी आ रही है। नीतीश कुमार उसके ख़ास सहयोगी रहे हैं।
बिहार में आज नीतीश सरकार का फ्लोर टेस्ट होना है। कौन जीतेगा और कौन हारेगा यह अब मसला नहीं है। मसला तो यह है कि कोई जीते ,कोई हारे या फिर वहां राज्यपाल शासन ही क्यों हो जाए अब बिहार को कुछ नहीं मिलना है। लगता है बिहार फिर से अन्धकार की तरफ बढ़ सकता है। बिहार में अब कोई ऐसा नेता नहीं जो बिहार के बारे में सोंच रहा है। बिहार में अब कोई ऐसी पार्टी नहीं जो बिहार की समृद्धि की बात करती हो। भी हाल में जो घटना घटी वह बिहार को बहुत कुछ बता दिया कि बिहार की परेशानी बिहार के नेता और वहां की राजनीति ही है।
आज बिहार में क्या हो सकता है ? होने को तो कुछ भी हो सकता है। वहां की नीतीश सरकार पैदल भी हो सकती है। उनका इकबाल तो पहले ही ख़त्म हो चुका है और इसकी जानकारी नीतीश को भी है। जिस नीतीश कुमार में बिहारी समाज पीएम क उम्मीदवार देख रहा है था आज वही नीतीश कुमार अब मुँह छुपाये चल रहे हैं। इसलिए आज नीतीश के साथ कुछ भी होगा तो बिहार के बड़े जनमानमस के मन में कोई ख़ुशी यही दुखी का आभास नहीं होगा।
यह भी कहा जा रहा है कि राजद की जीत हो सकती है। ऐसा होता है तो महागठबंधन की सरकार भी बन सकती है। क्योंकि टूट तो होगी। रजड टूटे या बीजेपी और फिर जदयू और कांग्रेस भी। कौन टूटेगा और कितना टूटेगा यह सब देखने की बात है।
तीसरी स्थिति जीतन राम मझि की है। मांझी इस अवसर का लाभ उठ सकते हैं। माझी सीएम बन सकते हैं। वे नीतीश के साथ रहकर भी सीएम बन सकते हैं और राजद के साथ जाकर भी सीएम बन सकते हैं। बिहार की चौथी हालत यह भी है कि वहां राज्यपाल शासन भी लग सकता है। और पांचवी हलात यह भी हो सकती है नीतीश को बहुमत मिल भी सकता है।
लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि बिहार में जो हो रहा है क्या उससे बीजेपी को कोई लाभ हो सकता है ? कहानी तो यही है कि बीजेपी खुद अब चाहती है कि नीतीश को खात्मा हो जाए। जदयू ख़त्म हो जाए और नीतीश की सरकार गिर भी जाए और अगर बच भी जाए तो आने वाले समय जदयू बीजेपी में विलीन हो जाए। यह सब आज बिहार में तय होगा। परिणाम जो भी होगा एक बात तय है कि बिहार का अब कोई भी नेता छाती ठोका कर जनता के बीच नहीं जा सकता। जनता जान गई है कि बीजेपी केवल ऑपरेशन चलाती है और धर्म की राजनीति के जरिए लोगों की भावना के साथ खेलती है। लेकिन बाकी राज्यों की तरह बिहार के लोग धर्म की राजनीति में फसेंगे ? यही बड़ा सवाल है। नीतीश की राजनीति तो वैसे ही ख़त्म हो गई है। जिसका इकबाल एक बार खतम हो जाता है वह कभी सम्मान का पात्र नहीं रहता और जब सम्मान ही नहीं तो वह कुछ भी रहे और कुछ भी करे उसको नोटिस कौन लेता है ?