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Gajendra Singh Shekhawat: रणथंभौर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की रात की जंगल सफारी पर बवाल, बाघों को हेडलाइट में देखने का वीडियो वायरल

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रणथंभौर टाइगर रिजर्व में रात के अंधेरे में जंगल सफारी कर नियमों की अनदेखी की। उन्होंने वाहन की हेडलाइट में बाघों को निहारते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसके बाद यह वीडियो वायरल हो गया और विवाद खड़ा हो गया। वन्यजीव प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने इस पर नाराजगी जताते हुए नियमों के दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाए हैं।

Gajendra Singh Shekhawat: रणथंभौर टाइगर रिजर्व, जहां आम पर्यटकों के लिए सख्त नियम लागू होते हैं, वहां देश के एक केंद्रीय मंत्री ने ही नियमों को ताक पर रख दिया। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा रात के अंधेरे में बाघों को वाहन की हेडलाइट से देखने का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है, जो अब तेजी से वायरल हो रहा है और विवाद का कारण बन गया है।

इस वीडियो के सामने आने के बाद वन्यजीव प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने केंद्रीय मंत्री की इस हरकत पर कड़ी आपत्ति जताई है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या नियम केवल आम लोगों के लिए हैं और रसूखदारों पर इनका कोई असर नहीं होता?

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बाघों को हेडलाइट में निहारते दिखे मंत्री

वायरल वीडियो में गजेंद्र सिंह शेखावत रणथंभौर टाइगर रिजर्व के जोन-2 में स्थित नालघाटी या गणेशधाम क्षेत्र में एक जिप्सी में सवार नजर आ रहे हैं। वह वाहन की हेडलाइट की रोशनी में बाघों के एक जोड़े को निहारते दिखते हैं। यह वीडियो खुद केंद्रीय मंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह सफारी रात के समय की गई थी, जो पर्यटन नियमों के खिलाफ है।

वन्यजीव प्रेमियों ने उठाए सवाल

वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोगों ने इस कृत्य को नियमों की सरेआम अवहेलना बताया है। उनका कहना है कि यदि ऐसा कोई आम नागरिक करता, तो उस पर तुरंत कार्रवाई होती, लेकिन एक केंद्रीय मंत्री के मामले में जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति साफ संकेत देती है कि रणथंभौर में रसूखदारों के लिए अलग नियम हैं।

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अधिकारी मौन, दोहरी नीति पर उठे सवाल

इस प्रकरण ने वन विभाग और रणथंभौर के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में एक आम युवक द्वारा रील बनाने पर कार्रवाई हुई थी, लेकिन इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लोगों का कहना है कि “बड़े करें तो चमत्कार, छोटे करें तो अपराध” यह कहावत अब रणथंभौर में चरितार्थ होती दिख रही है।

वन विभाग की निष्क्रियता से उठी आलोचना

वन्यजीव संरक्षण कानून के अनुसार, सूर्यास्त के बाद जंगल में किसी भी प्रकार की गतिविधि पर सख्त पाबंदी है। फिर भी इस मामले में अब तक न कोई स्पष्टीकरण आया है, न कोई कार्रवाई। अब निगाहें वन विभाग पर हैं कि वह इस स्पष्ट नियम उल्लंघन पर क्या कदम उठाता है।

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निष्कर्ष: क्या कानून सभी के लिए समान?

यह पूरा मामला यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या वन्यजीव संरक्षण के नियम केवल आम नागरिकों के लिए हैं? यदि कानून का उल्लंघन करने वाला एक उच्च पदस्थ मंत्री है, तो क्या उसे छूट मिलनी चाहिए? इस प्रकरण पर केंद्र और राज्य सरकार की चुप्पी भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

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