Gehlot Shekhawat Defamation Case: “मेरी मां का अपमान किया, माफ नहीं कर सकता” – शेखावत ने गहलोत की माफी ठुकराई
राजस्थान की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की माफ़ी को सिरे से खारिज करते हुए साफ कहा है कि वह मानहानि केस वापस नहीं लेंगे। शेखावत ने आरोप लगाया कि गहलोत ने न सिर्फ उन्हें, बल्कि उनकी दिवंगत मां का भी सार्वजनिक रूप से अपमान किया था।
Gehlot Shekhawat Defamation Case: राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर गर्मी लौट आई है। साल 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद शुरू हुआ मानहानि का मामला अब एक नए मोड़ पर आ गया है। अशोक गहलोत की ओर से केस वापस लेने की मंशा जताने के बावजूद शेखावत ने साफ कहा है कि वे इसे किसी भी कीमत पर वापस नहीं लेंगे।
शेखावत ने भावुक अंदाज में कहा कि वह उस पल को कभी नहीं भूल सकते जब गहलोत ने उनकी दिवंगत मां को लेकर सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने यह भी साफ किया कि गहलोत ने जो माफी मांगी, वह भी मीडिया के जरिए की गई, ना कि सीधे उनके सामने आकर। ऐसे में केस वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
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“मां के अपमान को नहीं कर सकता माफ”
गजेंद्र सिंह शेखावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि गहलोत ने मेरी मां पर टिप्पणी की थी। मैं उस क्षण को कभी नहीं भूल सकता। यह मामला सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि मेरे परिवार के सम्मान का है। केस वापसी की कोई गुंजाइश नहीं है।
“मीडिया के जरिए माफी, यह स्वीकार्य नहीं”
शेखावत ने अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने मीडिया में बयान देकर माफी मांगी, लेकिन मेरे सामने आकर कभी खेद नहीं जताया। उन्होंने कहा, “अगर वास्तव में उन्हें अपनी गलती का अहसास होता, तो वे मेरे सामने आते। मीडिया के जरिए माफ़ी मांगना केवल दिखावा है।”
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“आपातकाल में गला घोंटा गया लोकतंत्र”
जोधपुर प्रवास के दौरान शेखावत ने सर्किट हाउस में प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि आज जो कांग्रेस आपातकाल की आलोचना कर रही है, उसी ने उस दौर में संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया का गला घोंटा था। उन्होंने कहा, “आज वे संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं, लेकिन इतिहास गवाह है कि सत्ता में रहते हुए इन्होंने ही लोकतंत्र को रौंदा।”
“आपातकाल का जिक्र कर कांग्रेस को घेरा”
शेखावत ने आगे कहा कि भारत ने एक लंबी गुलामी के बाद स्वतंत्रता हासिल की है, जिसमें लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। उन्होंने कहा कि भारत न सिर्फ विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि वैदिक युग से चली आ रही गणराज्य परंपरा का प्रतीक भी है।
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“जबरन नसबंदी और यातनाओं को भूलना मुमकिन नहीं”
केंद्रीय मंत्री ने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों की याद दिलाते हुए कहा कि देश के करोड़ों नागरिकों ने उस दौर में जबरन नसबंदी, जेल और अमानवीय यातनाएं झेली थी। उन्होंने पूछा, “क्या उन पीड़ाओं को भुलाया जा सकता है? क्या संविधान की हत्या को माफ किया जा सकता है?”
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