Rudraprayag Floods: रुद्रप्रयाग के तीन गांवों में बदला भूगोल, कई घर बर्बाद
रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के तीन गांवों में भारी बारिश और गदेरे में आई बाढ़ से जबरदस्त तबाही मची है। घरों में मलबा घुस गया, कई मकान हवा में लटक गए और बिजली-पानी की आपूर्ति ठप हो गई। ग्रामीणों ने निर्माण कार्य में लापरवाही को आपदा का प्रमुख कारण बताया है।
Rudraprayag Floods: जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर अगस्त्यमुनि ब्लॉक के तीन गांव—बेड़ू बगड़, चमेली और बगड़ धार तोक—बीते शुक्रवार रात भारी बारिश और रुमसी गदेरे में आई बाढ़ की चपेट में आ गए। इस प्राकृतिक आपदा ने इलाके में भारी तबाही मचाई है, जिससे ग्रामीणों की रात दहशत में बीती। बाढ़ और मलबे ने कई घरों को नुकसान पहुंचाया, तो कुछ घर हवा में लटक गए हैं। वहीं, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी हैं।
रात की बारिश ने मचाई तबाही
शुक्रवार की रात जब अधिकांश ग्रामीण अपने घरों में विश्राम कर रहे थे, तभी लगातार तेज होती बारिश के कारण लोग सतर्क हो गए। रात के मध्य अचानक रुमसी गदेरा उफान पर आ गया और पानी के साथ भारी मलबा गांवों की ओर बढ़ने लगा। तेज गर्जना के साथ बाढ़ और मलबा इन गांवों की सीमाओं में दाखिल हुआ और देखते ही देखते हालात भयावह हो गए।
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ग्राउंड जीरो से भयावह तस्वीरें
जब बेड़ू बगड़ गांव पहुंचकर ग्राउंड जीरो की स्थिति का जायजा लिया, तो हालात बेहद गंभीर मिले। गांव की गलियों और घरों में चारों ओर मलबा फैला हुआ था। कुछ मकानों की नींव तक खोखली हो चुकी थी, जिससे वे हवा में झूलते दिखे। स्थानीय लोगों के अनुसार, रात भर ग्रामीण अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर भागे। यह एक ऐसी रात थी जिसे लोग जल्दी नहीं भूल पाएंगे।
भूगोल ही बदल गया
बाढ़ और मलबे ने इन गांवों का भूगोल ही बदल डाला है। पहले जहां खेत और रास्ते थे, अब वहां केवल पत्थर, कीचड़ और बोल्डर बिखरे पड़े हैं। रुमसी गदेरा का प्रवाह इतना तेज था कि उसके साथ बड़े-बड़े बोल्डर भी बहकर गांव तक पहुंच गए। यह मलबा इतने बड़े स्तर का है कि सामान्य संसाधनों से उसकी सफाई कर पाना फिलहाल संभव नहीं लग रहा।
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लापरवाही बनी आपदा की वजह?
ग्रामीणों ने इस आपदा के पीछे निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि केदारनाथ हाईवे से जो लिंक रोड (बेड़ू बगड़-डोभा भौंसाल मार्ग) बनाया जा रहा है, उसमें निर्माण एजेंसी द्वारा जानबूझकर मलबा रुमसी गदेरे में फेंका जा रहा है। इस कारण गदेरा संकरा हो गया और अतिवृष्टि के समय वह मलबा साथ लेकर गांवों की ओर बह निकला। लोगों ने इस पूरे मामले में ठेकेदार और संबंधित विभाग के अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग की है।
बिजली-पानी ठप, ग्रामीणों ने छोड़े घर
बारिश और मलबे के बाद गांवों में बिजली-पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो चुकी है। कई घरों को खतरा देखते हुए लोग उन्हें खाली कर चुके हैं और सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे हैं। गांव की सड़कें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिससे राहत एवं बचाव कार्यों में भी दिक्कतें आ रही हैं।
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प्रशासनिक सहायता का इंतजार
अब ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से मदद की उम्मीद है। लेकिन अब तक जितनी राहत मिली है, वह अपर्याप्त लग रही है। लोग चाहते हैं कि सरकार और जिला प्रशासन तत्काल प्रभाव से बचाव, राहत और पुनर्वास की कार्रवाई करे, ताकि जनजीवन जल्द सामान्य हो सके।
रुद्रप्रयाग की यह आपदा सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि विकास कार्यों में लापरवाही का नतीजा भी मानी जा रही है। अब जरूरी है कि शासन इस घटना से सबक ले और निर्माण कार्यों में पर्यावरणीय संतुलन को प्राथमिकता दे। वरना, ऐसी आपदाएं बार-बार जनजीवन को झकझोरती रहेंगी।
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