Ghaziabad’s Dasna Jail: गाजियाबाद की डासना जेल यूपी की पहली ऐसी जेल बनी है जहां पर रेडियो जॉकी का स्टेशन बनाया गया है.
स्टेशन इस उद्देश्य से बनाया गया है कि जेल के अंदर बंद कैदी नकारात्मक सोच से सकारात्मक सोच की तरफ आए और उनका मनोरंजन भी हो जाए।बंदी ही कर रहे अन्य बंदियों का मनोरंजन उन्होंने बताया कि फिलहाल इस आधुनिक रेडियो जॉकी स्टूडियो में जेल में ही करीब एक साल से बंद दिनेश और शम्भू को गाना गाने और कहानी सुनाने का मौका दिया गया है। फिलहाल दोनों ही रेडियो जॉकी पर जेल के सभी बंदियों को कहानी और गाने सुनाते हैं। जेल अधीक्षक का कहना है कि रेडियो जॉकी के द्वारा प्रसारित किए जाने वाली कविता, कहानी, गाने और आरती और मंत्र को सुनकर सभी बंदी बहुत अच्छा महसूस करते हैं। इतना ही नहीं कुछ बंदियों की अपनी फरमाइश भी होती है, जिसे वह रेडियो जॉकी तक पहुंचाते हैं और उनकी फरमाइश के मुताबिक भी कहानी, कविता और गाने प्रसारित किए जाते हैं।
दरसल बंदियों को तनावमुक्त रखने के उद्देश्य के चलते बहुत ही अच्छा संसाधन लगाया गया है और आपको सुनकर हैरानी भी होगी जो इसका एंकर भी एक सजायाफ्ता कैदी बना है जोकि रोजाना रेडियो जॉकी का कार्य करता है।जेल अधीक्षक आलोक सिंह ने बताया कि जेल की सभी बैरिंग के अंदर स्पीकर लगे हुए हैं और रेडियो स्टेशन के माध्यम से कैदियों को नकारात्मक सोच के साथ में डिप्रेशन से बचाव के चलते ही इस प्रकार से मनोरंजन हो जाता है।सुबह-सुबह भजनों के माध्यम से जेल में बंद कैदियों को अच्छा मैसेज दिया जाता है इसके बाद मनोरंजन के लिए उनकी फरमाइश के गाने भी बजाए जाते हैं जो की शाम तक चलाए जाते है।जेल के अंदर रेडियो स्टेशन खुलजाने से कैदियों ने बताया कि वह भी मनोरंजन का लुफ्त उठा रहे हैं साथ ही सकारात्मक सोच की तरफ बढ़ रहे हैं।
सुनी जाएगी बंदियों की फरमाइश
जेल अधीक्षक ने बताया कि पहले अन्य प्रक्रिया के तहत रेडियो जॉकी का इस्तेमाल किया जाता था। अब जेल में ही बंद कुछ ऐसे बंदियों को भी रेडियो जॉकी स्टूडियो में जाने का अवसर दिया जाने लगा है। उन्होंने बताया कि रेडियो जॉकी की शुरुआत सुबह 6 से 8 बजे तक भजन और मंत्रों से होती है। इसके अलावा दोपहर को बंदियों के लिए मनोरंजन के लिए 2 घंटे फिल्मी गाने, कविता और कहानी को प्रसारित किया जाता है और शाम के वक्त रेडियो जॉकी के माध्यम से आरती भी चलाई जाती हैं।
जेल के कोने-कोने में होने लगा है प्रसारण
जेल अधीक्षक ने बताया कि जब से रेडियो जॉकी की स्थापना हुई तो बंदियों तक किसी भी सूचना को पहुंचाने और उन्हें तनाव मुक्त किए जाने का उद्देश्य सफल प्रयोग साबित हो रहा है। अब आधुनिकरण के बाद और बंदियों को रेडियो जॉकी पर आने का अवसर दिए जाने के बाद वास्तव में सभी बंदी तनाव मुक्त महसूस कर रहे हैं।