वाराणसी: जिला एवं सत्र न्यायालय के जज डॉ एके विश्वेश में बृहस्पतिवार को ज्ञानवापी श्रंगार गौरी-मस्जिद मामले में आर्डर 7 रुल, 11 के तहत (मामले के चलाये के योग्य होने अथवा न होने) पर सुनवाई हुई। अदालत में पहले मुस्लिम पक्ष को अपना पक्ष रखने का मौका दिया, जिसमें मुस्लिम पक्ष अधिवक्ताओं ने दावे के पोषणीय न होने की दलीलें दी। दोनों पक्षों के वकीलों ने करीब दो घंटे तक जमकर दलीलें दी हैं। अदालत ने आज कोई आदेश जारी न करते हुए आगामी सुनवाई के लिए 30 मई को दोपहर दो बजे का समय निर्धारित किया है, ताकि अधूरी बहस पूरी की जा सके।
हिन्दू पक्ष की ओर से विष्णु शंकर जैन और मुस्लिम पक्ष की तरफ से अभय नाथ यादव और मुमताज ने अपने-अपने पक्ष में जोरदार दलील दीं। अदालत में सुनवाई में दोनों पक्षो के कुल 36 लोगों को उपस्थित होने की अनुमति थी। बिना अनुमति जिला जज कोर्ट में आये दो लोगो को पुलिस ने कोर्ट से बाहर निकाला गया।
मुस्लिम पक्ष ने द प्लेस आफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजन्स) एक्ट 1991 का हवाला देते हुए इस दावे को सुनने योग्य न बताते हुए खारिज करने की मांग की। हालांकि मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें पूरी नहीं कर सका, इसके बाद हिन्दू पक्ष अपने दावे के पक्ष में अपनी दलीलें पेश करेगा। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमारा दावा खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि हिन्दू पक्ष के पास अपने दावों की पुष्टि के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
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संभावना थी कि श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा करने की अनुमति देने की मांग, कोर्ट कमीशन सर्वे में मिले शिवलिंग की लंबाई-चौड़ाई के लिए सर्वे किये जाने और वजूखाने के तालाब की जीवित मच्छलियों को दूसरी जगह शिफ्ट किये जाने संबंधी अर्जियों पर भी सुनवाई हो सकेगी, लेकिन ज्ञानवापी मामले की पोषणीय होने अथवा न होने की सुनवाई ही पूरी नहीं हो सकी, इसलिए किसी अन्य अर्जी पर सुनवाई नही हो सकती थी।
अब सबसे पहले ज्ञानवापी मामले की पोषणीय होने अथवा न होने पर पर निर्णय होने के बाद ही इससे जुड़ी अन्य अर्जियो को सुना जाएगा। दो दिन पहले अदालत दोनो पक्षों को सर्वे रिपोर्ट पर अपनी आपत्तियां दाखिल करने का आदेश जारी कर चुकी है। अब सबकी निगाह 30 मई को होने वाली सुनवाई पर टिकी है।