क्या कलियुग में भी विराजमान हैं राम भक्त हनुमान जी ?
नई दिल्ली: राम भक्त हनुमान जी चिरंजीवी हैं। वे हर युग में पृथ्वी पर रहते हैं। कहा जाता है कि रामायण काल और महाभारत काल में तो वे पृथ्वीलोक पर रहे। वर्तमान कलियुग में भी वे यहां ही विराजमान हैं। भारत में अनेक स्थानों पर उनके जीवित होने के प्रमाण भी मिलते हैं।
हनुमान जी हिन्दुओं के आराध्य हैं। हिन्दुओं के सभी वर्गों में उनकी गहरी आस्था है। गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान जी को केसरी नंदन कहकर संबोधित किया है। हनुमान जी को कई नामों से पुकारा जाता है, जिसमें पवन पुत्र, बजरंगबली, अंजनी पुत्र, मारुति, शंकर सुमन, रामदूत और कपिश्रेष्ठ प्रमुख हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी अजर-अमर हैं। उन्हें संकट मोचक भी कहा जाता है।
राम के वरदान से अमर हुए हनुमान जी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जहां भी भगवान राम की कथा होती है, वहां हनुमान जी अवश्य विराजमान होते हैं। जो राम भक्त हैं, हनुमान जी उनकी रक्षा सदैव करते हैं। शास्त्रों में कई सार्वभौमिक शक्तियां अमर होने का उल्लेख मिलता है, जिसमें हनुमान जी भी शामिल हैं। भगवान राम से वरदान मिलने के कारण हनुमान जी अमर हुए थे।
गंधमादन पर्वत पर रहते हैं हनुमान जी
त्रेतायुग में हनुमान जी तो भगवान राम के साथ रहे थे। द्वापर युग में हनुमान जी का प्रसंग महाभारत के समय मिलता है। शास्त्रों के अनुसार वर्तमान समय कलियुग का है और इस समय हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर निवास कर रहे हैं।
पहाड़ी गांव आंजन में जन्मे थे हनुमान जी
वाल्मिकी रामायण में हनुमान जी के संपूर्ण चरित्र का वर्णन मिलता है। ज्योतिषियों की गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव के एक गुफा में हुआ था।
रामायण में हनुमान जी है विस्तार से वर्णन
रामायण में हनुमान जी का विस्तार से वर्णन मिलता है। जब राम और लक्ष्मण सीता की खोज में निकलते हैं, तब हनुमान जी की भेंट राम और लक्ष्मण से होती है। इसके बाद हनुमान जी राम और लक्ष्मण को सुग्रीव से मिलाते हैं, फिर सीता का पता लगाने के लिए लंका जाते हैं। रास्ते में उनका सामना राक्षसों से होता है।
संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के बचाये थे प्राण हनुमान जी कई तरह की चुनौतियों को सामना करने के बाद लंका पहुंचते हैं। वहां जाकर वे सीता मैया का पता लगाते हैं। लक्ष्मण-मेघनाद के बीच युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी मेघनाद की शक्ति बाण से घायल हो जाते हैं, तो उनके प्राण बचाने के लिए हनुमान जी द्रोणागिरि पर्वत से संजीवनी बूटी लेकर आये थे और राम के बहुत प्रिय