Spicejet: दिल्ली हाईकोर्ट ने बजट एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट को 10 सितंबर तक 100 करोड़ रुपये भुगतान करने के आदेश दिए हैं। इससे पहले स्पाइसजेट ने कहा था कि वह अपनी सर्विस को जारी रखने के लिए संघर्ष कर रही है। यदि उन्होंने भुगतान नहीं किया तो उनकी संपत्ति कुर्क की जा सकती है।
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बजट एयरलाइन कंपनी स्पाइसजेट (Airlines company spicejet) को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। दिल्ली HC ने स्पाइसजेट को झटका देते हुए उसे 10 सितंबर तक 100 करोड़ रुपये एयरलाइन के पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन को देने को कहा है। अदालत ने कैरियर स्पाइसजेट और उसके चेयरमैन अजय सिंह को निर्देश दिया है कि वो 10 सितंबर तक कलानिधि मारन को 10 सितंबर तक 100 करोड़ रुपये का भुगतान करें, यदि ऐसा नहीं किया गया तो उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है। आपको बता दें कि स्पाइसजेट के पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन और स्पाइसजेट (Spicejet) के चेयरमैन के बीच शेयर ट्रांसफर को लेकर विवाद चल रहा है, जिस पर अदालत ने निर्देश जारी किए हैं।
खुद को बचाएं रखने के लिए कर रहे हैं संघर्ष
आपको बता दें स्पाइसजेट ने इससे पहले दिल्ली HC के सामने अपना पक्ष रखा था जिसमें कहा गया था कि वो खुद को बचाएं रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्पाइसजेट की ओर से पक्षकार रहे वकील अमित सिब्बल ने कोर्ट के सामने एयरलाइन की आर्थिक हालात का हवाला देते हुए कहा कि कंपनी को अपनी सर्विस को जारी रखने के लिए आर्थिक रूप से संघर्ष करना पड़ रहा है। हालांकि अदालत की तरफ से स्पाइसजेट को किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली हैं। अदालत ने स्पाइसजेट को चेतावनी दी कि यदि 10 सितंबर तक पैसे नहीं चुकाने पर कंपनी की संपत्ति जब्त की जा सकती है।
क्या है मामला?
जानकारी के मुताबिक बता दें फरवरी 2015 में सन नेटवर्क के कलानिधि मारन और उनके KAL एयरवेज ने आर्थिक परेशानी की वजह से एयरलाइन के बंद होने के बाद स्पाइसजेट ने अपनी 58.46% साझेदारी को बेच दिया। अजय सिंह, जो कि एयरलाइन के CO-Founder थे उन्हें 1500 करोड़ में ये साझेदारी ट्रांसफर कर दी गई। साल 2017 में मारन और KAL एयरवेज ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए इक्विटी शेयरों के तौर पर 180 मिलियन वारंट उन्हें ट्रांसफर करने की मांग की, जिसके बाद से ही ये विवाद चलता आ रहा है। दिल्ली की एकल खंडपीठ ने स्पाइसजेट और अजय सिंह को दर सहित 270 करोड़ रुपये कलानिधि मारन को लौटाने का निर्देश दिया गया हैं। जिसके बाद स्पाइसजेट ने अदालत के आदेश को चुनौती दी। हालांकि उन्हें फिर से HC से कोई राहत नहीं मिली है।