मथुरा: सिविल जज सीनियर डिवीजन ज्योति सिंह की अदालत में बृहस्पतिवार को श्रीकृष्ण जन्म भूमि मामले से श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप सिंह की याचिका पर सुनवाई की। अब इस मामले में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने करीब घंटे भर अपनी दलीलें दीं। अदालत ने हिन्दू पक्ष से उनके पक्ष में श्रीकृष्ण जन्म भूमि से जुड़े सभी दस्तावेज और मालिकाना हक संबंधी जिला अस्पताल के आदेश की प्रति उपलब्ध करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप सिंह की याचिका में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की शाही ईदगाह मस्जिद के कब्जे वाली 13.37 एकड़ जमीन से कब्जा हटाने की मांग करते हुए अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि इस मामले का रिवाजन स्वीकार किया जाए, क्योंकि इस मामले में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू और लिमिटेशन एक्ट नहीं होता। इसलिए भगवान के भक्त को अपने आराध्य की जमीन पर अवैध कब्जा हटवाने और जमीन उसके वास्तविक मालिक को सौंपे जाने का वैधानिक हक़ है।
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हिन्दू पक्ष के वकीलों का दावा है कि औरंगजेब ने अपने शासन में भगवान श्रीकृष्ण के मूलगर्भ गृह को तुड़वाकर वहां अवैध रुप से ईदगाह का निर्माण कराया था। उन्होने ईदगाह की जमीन को हिन्दुओं को सौंपने का आदेश देने की मांग दोहरायी। उधर ईदगाह कमेटी के सचिव अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि मुस्लिम पक्ष पहले 7 रुल 11 (याचिका की पोषीयता) पर बहस चाहता है। इस पर हिन्दू पक्ष के अधिवक्ताओं ने शाही ईदगाह पक्ष पर जानबूझकर मामले को लटकाने और भटकाने के लिए यह हथकंड़े अपनाने का आरोप लगाया। अदालत अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगी।