Heatwave Alert: अभी और सताएगी हीटवेव, IMD ने अधिक तापमान बढ़ने की दी चेतावनी
देश के कुछ इलाके में भीषण गर्मी और चिलमिलाती धूप का प्रकोप है तो कहीं कुछ इलाकों में मानसून मेहरबान हो गया है और झमाझम बारिश कर रहा है। उत्तर भारत इस वक़्त सूर्य की प्रचंड किरणों से जूझ रहा है । हालांकि, भारतीय मौसम विभाग ने सोमवार को हीटवेव(Heatwave) को लेकर एक बड़ा दावा किया है। IMD के मुताबिक, भारत में गर्मी की लहर यानि की हीटवेव(Heatwave) अब तक की सबसे लंबी लहर है। लोगों को इस प्रचंड गर्मी में कई सारी चीजों का सामना भी करना पड़ रहा है। IMD ने साथ बताया कि लोगों को अभी इस तरह की गर्मी आगे आगे देखने को भी मिल शक्ति है।साथ ही तापमान में उछल देखने को मिल सकती है।
भारत में कहीं धूप तो कहीं बारिश
पुरे उत्तर भारत में गर्मी मई के मध्य से अपने हैं, प्रचंड रूप पर है। इस तापमान ने तो कहीं जगह अपना रिकॉर्ड 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक कर दिया है। आईएमडी (IMD) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने मीडिया को बताया कि , ‘भारत के कुछ हिस्सों में बारिश की सहूलियत है । Desh के alg अलग अलग हिस्सों में लगभग 24 दिनों तक बारिश हुई है।’ और गर्मी से लोगो को आराम भी मिला है जिससे स्थिति और भी बदतर होने की उम्मीद।
हर साल इस महीने में वार्षिक मानसून की बारिश उत्तर की ओर बढ़ाना शुरू करती है। इसकी वजह से कही हिस्सों मे पारा गिरने की उम्मीद है, लेकिन मोहपात्रा ने चेतावनी दी कि मौसम के तापमान मे गिरावट दराज़ हो सकती है जिससे की स्थिति और भी बेहतर होगी। उन्होंने साथ ही बताया कि, ‘ कुछ दिनों तक एहतियाती या निवारक उपाय करने पड़ेंगे क्योंकि हीटवेव आने वाले दिनों में अधिक हो सकती है साथ heat wave के तीव्र होने के भी असर है।’
मिली जानकारी के मुताबिक भारत दुनिया में ग्रीनहाउस गैसों का तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है ।साथ ही 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन अर्थव्यवस्था हासिल करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई है। हाल ही में, बिजली उत्पादन के लिए हम बहुत अधिक कोयले(Coal) पर निर्भर हैं।
आने वाले पीढ़ियों को भी खतरे में डाल रहे
मोहपात्रा ने कहा कि मानवीय गतिविधियों, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण और परिवहन तंत्रों के कारण कार्बन मोनोऑक्साइड, मीथेन और क्लोरोकार्बन की सांद्रता बढ़ रही है। हम न केवल खुद को बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी खतरे में डाल रहे हैं। वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि गर्मी की लहरें लंबी, अधिक लगातार और अधिक तीव्र होने का कारण जलवायु परिवर्तन है ।