Assam Political News: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक खास समुदाय के वोटिंग व्यवहार पर अपनी नाराजगी जाहिर की। जिसके लिए उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) का सहारा लिया। उन्होंने लिखा, “एक खास समुदाय के लोग हैं, जिन्हें मोदी सरकार से घर, शौचालय, सड़क, सरकारी नौकरी, राशन और 1250 रुपए प्रतिमाह मिले हैं। लेकिन इस समुदाय ने कांग्रेस को वोट दिया। क्योंकि वे तुष्टिकरण चाहते हैं। उनका उद्देश्य विकास नहीं बल्कि मोदी को हटाना और अपने समुदाय का वर्चस्व बनाए रखना था।”
22 जून को राज्य में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए सरमा ने सवाल किया, “आज सांप्रदायिक गतिविधियों में कौन शामिल है? प्रधानमंत्री आवास योजना के घर बाघबोर, जानिया में देखे जा सकते हैं। जो व्यक्ति मोदी जी द्वारा दिए गए घर में रहता है, जो व्यक्ति मोदी जी द्वारा दी गई बिजली का उपयोग करता है, और जो व्यक्ति मोदी जी द्वारा दिए गए शौचालय में जाता है, हर महीने की 9 तारीख को 1250 रुपये बैंक खाते में जमा होते हैं, वह व्यक्ति भी हिम्मत से वोट के केंद्र में गया है और कांग्रेस पार्टी को वोट दिया है, नरेंद्र मोदी को नहीं। इस तरह की चरम अभिव्यक्तिया और सांप्रदायिकता पहले कभी नहीं देखी गई।”
सरमा ने कथित कृतघ्नता पर जोर देते हुए अपनी आलोचना जारी रखी, “उस व्यक्ति के बारे में सोचें जिसके परिवार को बिना एक पैसा दिए सरकारी नौकरी मिल गई है, जिस व्यक्ति के परिवार को मोदी जी द्वारा दिया गया घर मिल गया है, बिजली मिल गई है, घर के सामने की सड़क पक्की है, स्कूल पक्का है, उस व्यक्ति ने चीजों की कीमत के बारे में नहीं सोचा है, उस व्यक्ति ने किसी और चीज के बारे में नहीं सोचा है, वे केवल ‘मोदी हटाओ’ सोचते हैं। इसके अलावा, वे ज्यादा कुछ नहीं सोचते हैं।”
उन्होंने समुदाय पर एक ही राजनीतिक उद्देश्य रखने का आरोप लगाया, “लेकिन क्योंकि हिंदू समाज धर्मनिरपेक्ष है, इसलिए हम ‘मोदी बचाओ’ के बारे में नहीं सोच रहे हैं। कुछ ने मोदी को वोट दिया, कुछ ने मोदी को वोट नहीं दिया, लेकिन बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, भले ही राज्य में कांग्रेस की सरकार हो, भले ही पेट्रोल की कीमत 300 रुपये हो, वे इसे कांग्रेस को ही देंगे क्योंकि उनका लक्ष्य अगले 10 वर्षों में असम पर कब्जा करना है, यह उनका एकमात्र लक्ष्य है।”
सरमा ने हाल की घटनाओं का भी जिक्र किया और उन्हें राजनीतिक माहौल से जोड़ते हुए कहा, “चुनाव के समय एमसीसी थी, हम मंत्री कार्यालय नहीं आते थे, मैं चुनाव के काम से राज्य से बाहर था। इन्हीं तीन अवधियों के दौरान उन्होंने लखीमपुर के पुलिस स्टेशन पर हमला किया। उस समय तक वे बारपेटा के हिंदू गांव में आ चुके थे और इसी से संबंधित हमला किया था। और इसी एक महीने के भीतर वे कोकराझार के कोचम राजबोंगची गांव गए और जमीन हड़पने का अभियान चलाया। एमसीसी की वजह से भाजपा सरकार एक महीने तक सोई नहीं, सिर्फ निष्क्रिय रही। हमें बस कल्पना करनी है कि निष्क्रियता के एक महीने में तीन समन्वित हमले हुए और जब असम में भाजपा की सरकार नहीं होगी तो ऐसे कितने हमले दिन-रात होते रहेंगे।”