Record Fundraising: FY25 में भारतीय कंपनियों ने QIP के जरिए जुटाए ₹1.33 लाख करोड़, नया रिकॉर्ड बना
वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय कंपनियों ने योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (QIP) के जरिए रिकॉर्ड ₹1.33 लाख करोड़ जुटाए, जो पिछले साल की तुलना में 87% अधिक है। इस उछाल का मुख्य कारण शेयर बाजार में मजबूती और कंपनियों की बढ़ती पूंजी आवश्यकताएं हैं। प्रमुख कंपनियों और सरकारी बैंकों ने इस फंडिंग का उपयोग विस्तार और ऋण चुकाने के लिए किया है।
Record Fundraising: वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय कंपनियों ने योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (QIP) के माध्यम से ₹1.33 लाख करोड़ की पूंजी जुटाई, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 87% अधिक है, जब कंपनियों ने ₹71,306 करोड़ जुटाए थे। शेयर बाजार में मजबूती और निवेशकों के बढ़ते भरोसे के कारण कंपनियों ने इस विकल्प के जरिए अपने विस्तार और विकास योजनाओं के लिए फंड जुटाने का निर्णय लिया।
क्यों बढ़ा QIP के जरिए फंड जुटाने का रुझान?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार की तेजी और कंपनियों की बढ़ती पूंजी आवश्यकताओं के कारण QIP के जरिए फंड जुटाने में जबरदस्त वृद्धि हुई है। इसके अलावा, यह प्रक्रिया तुलनात्मक रूप से तेज और सुविधाजनक होती है, जिससे कंपनियों को पूंजी तक आसानी से पहुंच मिलती है।
इस साल 85 कंपनियों ने QIP के जरिए धन जुटाया, जबकि पिछले साल यह संख्या 64 थी। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अधिक से अधिक कंपनियां इस माध्यम को पसंद कर रही हैं।
किन कंपनियों ने जुटाई सबसे ज्यादा राशि?
इस वित्त वर्ष में कई बड़ी कंपनियों ने QIP के जरिए बड़ी रकम जुटाई:
वेदांता ग्रुप और ज़ोमैटो: ₹8,500 करोड़
अदानी एनर्जी सॉल्यूशंस: ₹8,373 करोड़
वरुण बेवरेजेस: ₹7,500 करोड़
सम्वर्धना मोथर्सन इंटरनेशनल: ₹6,438 करोड़
गोडरेज प्रॉपर्टीज: ₹6,000 करोड़
इन कंपनियों ने इस फंडिंग का उपयोग विस्तार, ऋण चुकाने और नई परियोजनाओं में निवेश के लिए किया है।
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सरकारी बैंकों की भागीदारी भी बढ़ी
सिर्फ निजी कंपनियां ही नहीं, बल्कि कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी QIP के जरिए पूंजी जुटाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक ने मिलकर ₹14,000 करोड़ से अधिक की राशि जुटाई। यह सरकारी बैंकों में भी पूंजी जुटाने की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।
पूंजी बाजार में कुल फंडिंग का रिकॉर्ड स्तर
पूंजी जुटाने का यह उछाल सिर्फ QIP तक सीमित नहीं रहा। इस वित्त वर्ष में भारतीय कंपनियों ने आईपीओ, QIP और ऋण साधनों के माध्यम से कुल ₹3.8 लाख करोड़ की पूंजी जुटाई, जिसमें से अकेले इक्विटी फंडिंग ₹3.7 लाख करोड़ रही। यह पिछले उच्चतम स्तर की तुलना में लगभग दोगुना है।
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बड़े आईपीओ में हुंडई मोटर, स्विगी और एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी शामिल रहे, जिन्होंने निवेशकों की ओर से मजबूत प्रतिक्रिया प्राप्त की।
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर बनी रहती है और शेयर बाजार में स्थिरता बनी रहती है, तो आने वाले वर्षों में भी कंपनियों द्वारा QIP के जरिए पूंजी जुटाने का सिलसिला जारी रहेगा। कंपनियों के लिए यह एक प्रभावी तरीका बन चुका है, जिससे वे बाजार से सीधे संस्थागत निवेशकों से धन प्राप्त कर सकती हैं।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय कंपनियों द्वारा QIP के जरिए ₹1.33 लाख करोड़ जुटाना देश के पूंजी बाजार की मजबूती और निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है। यह प्रवृत्ति न केवल निजी क्षेत्र बल्कि सार्वजनिक बैंकों में भी देखने को मिल रही है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और वित्तीय स्थिरता की ओर एक सकारात्मक संकेत है।
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