ISRO-NASA: भारत का शुभांशु, नासा और ईएसए के साथ मिलकर करेगा ब्रह्मांड पर राज!
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA), और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) एक महत्वपूर्ण संयुक्त मिशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जिसके तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिनों के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे।
ISRO-NASA : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA), और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) एक महत्वपूर्ण संयुक्त मिशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जिसके तहत भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिनों के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान करेंगे। यह मिशन, जिसे एक्सिओम मिशन-4 (Ax-4) नाम दिया गया है, 29 मई, 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होने वाला है।
पढ़ें : सीएम योगी ने माँ के लिए जो कहा, सुनकर हैरान रह जाएंगे!
यह अभूतपूर्व सहयोग वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा, जिसमें तीन प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों की विशेषज्ञता और संसाधनों का समन्वय होगा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे और उनके साथ मिशन कमांडर के रूप में अनुभवी नासा की अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, और मिशन विशेषज्ञ के रूप में पोलैंड के ईएसए और हंगरी के तिबोर कपू भी शामिल होंगे।
मिशन के मुख्य उद्देश्य:
ग्रुप कैप्टन शुक्ला आईएसएस पर कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों का नेतृत्व करेंगे या उनमें सहयोग करेंगे। इन प्रयोगों का मुख्य ध्यान अंतरिक्ष में जीवन को समझने, सूक्ष्म जीवों, पौधों और मानव शरीर पर इसके प्रभावों का अध्ययन करने पर केंद्रित होगा। इस मिशन के तहत कम से कम सात प्रमुख प्रयोग किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
- अंतरिक्ष में वाटर बियर (टार्डिग्रेड्स): टार्डिग्रेड्स छोटे जीव हैं जो लगभग किसी भी चरम स्थिति में जीवित रह सकते हैं, जिसमें अत्यधिक ठंड, उबलता तापमान और यहां तक कि अंतरिक्ष भी शामिल है। वैज्ञानिक यह अध्ययन करना चाहते हैं कि वे अंतरिक्ष में कैसे जीवित रहते हैं और क्या वे माइक्रोग्रैविटी में प्रजनन कर सकते हैं। इस शोध से लंबी अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान जीवन की उत्तरजीविता को समझने और पृथ्वी पर जैव प्रौद्योगिकी उपयोगों में मदद मिल सकती है।
- अंतरिक्ष में मूंग का अंकुरण: इस प्रयोग का उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि और विकास कैसे होता है। यह शोध भविष्य में अंतरिक्ष में भोजन उगाने की संभावनाओं का पता लगाने में महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिक यह भी अध्ययन करेंगे कि क्या अंतरिक्ष में उगाए गए पौधों में पृथ्वी पर उगाए गए पौधों के समान पोषक तत्व होते हैं।
- माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों का क्षरण: यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी के कारण मांसपेशियों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगा और यह पता लगाएगा कि क्या पूरक जैसे हस्तक्षेप इस प्रक्रिया को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य और दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है।
- पानी के बैक्टीरिया (साइनोबैक्टीरिया):
साइनोबैक्टीरिया सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके बढ़ते हैं और ऑक्सीजन बनाते हैं। इस प्रयोग में यह अध्ययन किया जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी में इन बैक्टीरिया की वृद्धि और चयापचय कैसे प्रभावित होता है। यह अंतरिक्ष में जीवन समर्थन प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। - माइक्रोग्रैविटी में माइक्रोएल्गी की खेती: माइक्रोएल्गी भी ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं और भोजन के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में उनकी वृद्धि और विकास का विश्लेषण करेगा।
- मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन: यह अध्ययन करेगा कि अंतरिक्ष यात्री तैरते समय प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे करते हैं, विशेष रूप से उनके हाथों और आंखों की गति, उनके ध्यान और विभिन्न वातावरणों में डिजिटल सिस्टम का उपयोग करते समय उन्हें किसी तनाव का अनुभव होता है या नहीं। अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति की स्थिरता का विश्लेषण करने के लिए ये कार्य महत्वपूर्ण हैं।
पढ़े ताजा अपडेट: Newswatchindia.com: Hindi News, Today Hindi News, Breaking
यह मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रुप कैप्टन शुक्ला आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे, हालांकि राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत संघ के एक मिशन पर अंतरिक्ष की यात्रा की थी। इस मिशन से प्राप्त अनुभव भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष यान मिशन गगनयान के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिसकी योजना 2026 में है।
इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी नारायणन ने विश्वास व्यक्त किया है कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला अंतरिक्ष स्टेशन पर एक उत्कृष्ट अंतरिक्ष यात्री के रूप में प्रदर्शन करेंगे। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देगा बल्कि भारत की युवा पीढ़ी को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए भी प्रेरित करेगा।
एक्सिओम स्पेस के अनुसार, इस मिशन का उद्देश्य निम्न-पृथ्वी कक्षा में मानव उपस्थिति को फिर से परिभाषित करना और वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। यह पहली बार है जब भारत, पोलैंड और हंगरी एक साथ आईएसएस पर एक मिशन में सहयोग कर रहे हैं।
पूरे भारत में वैज्ञानिक समुदाय और नागरिक इस ऐतिहासिक मिशन की सफलता के लिए उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।
Latest ALSO New Update Uttar Pradesh News, उत्तराखंड की ताज़ा ख़बर
Follow Us: हिंदी समाचार, Breaking Hindi News Live में सबसे पहले पढ़ें News watch indiaपर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट न्यूज वॉच इंडिया न्यूज़ लाइवपर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और Latest soprt Hindi News, से जुड़ी तमाम ख़बरें हमारा App डाउनलोड करें। YOUTUBE National। WhatsApp Channels। FACEBOOK । INSTAGRAM। WhatsApp Channel। Twitter।NEWSWATCHINDIA 24×7 Live TV