नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की लखनऊ की एटीएस (आंतक विरोधी दस्ता) द्वारा जनपद सहारनपुर के थाना गंगोह क्षेत्र के गांव कुंडाकला से पकड़ा गया आंतकी नदीम अहमद की गिफ्तारी से गांव वाले भी भौंचक्के हैं। नदीम का पिता नफीस खुद हैरान है। नदीम पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए- मोहम्मद व तहरीक-ए- तालिवान के आकाओं से जुड़ा हुआ था।
नदीम को पाक हैंडलर ने भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की हत्या करने का टास्क दिया था। साथ ही उसे बड़े सरकारी भवनों और पुलिस मुख्यालयों पर आत्मघाती हमला करने के लिए कहा गया था। करीब 25 साल को नदीम आठवीं कक्षा तक पढा है। इसके बाद उसने अपने गांव कुंडाकला में किराने की दुकान की थी, लेकिन बाद में देहरादून एक फैक्टरी में नौकरी करने गया था। देहरादून में रहने के दौरान उसका कुछ कश्मीरी युवकों से संपर्क हुआ था। इसके बाद ही उसने आतंक की राह चुनी थी।
नदीम के पिता नफीस का कहना है कि उसका बेटा रात में फोन पर बातें तो करता था, लेकिन नदीम विदेश में आंतकवादियों से बात करता था, उन्हें इस बात की खबर नहीं थी। नफीस का कहना है कि वे सोचते थे कि पाकिस्तान में नदीम अपनी बुआ व दूसरे रिश्तेदारों से बात करता होगा।
यह भी पढेंः मुख्य सचिव ने किया विधानभवन में 15 अगस्त की तैयारियों का निरीक्षण, उप्र में 4 करोड़ झंडों का वितरण
देहरादून से आने के नदीम गांव में ही रहने लगा था। वह गांव में लोगो से कम ही संपर्क रखता था। वह गांव में रहकर पाकिस्तान व अफगानिस्तान के आतंकवादियों के संपर्क में था। उसने पाक के आतंकवादी सैफुल्ला से सोशल मीडिया के जरिये से बम बनाना सीखा था और अब फियादीन हमले करने लिए विस्फोटक सामग्री जुटाने के काम में लगा था, लेकिन इससे पहले ही एटीएस ने उसे धर दबोचा।
वह वर्ष 2018 से देश विरोधी गतिविधियों व विदेशी आंतकवादी संगठनों के संपर्क में था, लेकिन सहारनपुर की पुलिस व एलआईयू को इसकी भनक तक नहीं लग सकी थी। उससे पूछताछ व फोन की जांच से जो खुलासा हुआ है, वह बेहद चौंकाने वाला है। वह कई सालों से पाकिस्तान व अफगानिस्तान के आतंकवादी संगठनों के आकाओं से सोशल मीडिया, मैसेंजर व वायस मैसेज से बातचीत करता था।
नदीम आतंकवाद की विशेष ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान जाने की तैयारी में था। वहां से वह अफगानिस्तान और सीरिया जाना चाहता था। फियादीन हमले का कोर्स उसने पाक आतंकी द्वारा उसके फोन पर भेजी 70 पेज की पीडीएफ फाइल को पढकर सीख लिया था लेकिन वह प्रेक्टिकल रुप नहीं दे पा रहा था। पाकिस्तान जाकर वह अपने आतंकी ज्ञान को आजमाना चाहता था।