Jammu and Kashmir (जम्मू-कश्मीर)

जम्मू-कश्मीर ‘गर फिरदौस बर रुए ज़मी अस्त, हमीं अस्तो, हमीं अस्तों, हमीं अस्त’… मुगल शासक जहांगीर के फारसी में कहे इस वक्तव्य का मतलब ये है कि धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है और सिर्फ यहीं पर है. कश्मीर के लिए इससे ज्यादा अच्छा, शायद आज तक नहीं कहा जा सका है. हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कश्मीर का इतिहास सतयुग से भी ज्यादा पुराना है. पहले यहां राजा अग्निघ्र का और फिर ऋषि कश्यप का राज रहा. कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू के गर्भ से ही नाग वंश का उदय हुआ था. इन्हीं नागों के कारण कश्मीर के कई इलाके के नाम में नाग जुड़ा है. इसे देवताओं की धरती कहा जाता है. इतिहास के लंबे कालखंड में यहां कई अलग अलग शासकों ने राज किया. इनमें मौर्य, कुषाण, हूण, मुगल, अफगान, सिख और डोगरा प्रमुख हैं. इसे सूफी संतों की धरती भी कहा जाता है जो कि आज भी यहां की संस्कृति का एक

अभिन्न हिस्सा है. खान-पान, पहनावा और नृत्य-संगीत की अनोखी और आकर्षक परंपरा यहां की खास पहचान है. प्राकृतिक खूबसूरती के साथ साथ ये स्थान सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. इसी वजह से आजादी से पहले और आजादी के बाद भी ये भू-खंड एक विवादित स्थल बना रहा. विभाजन के बाद भारत के पास अखंड कश्मीर के आधे इलाके का नियंत्रण है. इसमें जम्मू और लद्दाख भी शामिल हैं. वहीं पाकिस्तान के पास एक तिहाई इलाका है. भारत में होने के बाद भी घाटी को अनुच्छेद 370 के तहत कई विशेषाधिकार दिया गया था. इसके कारण वो भारत का अभिन्न अंग नहीं लगता था. 2019 में केंद्र सरकार के प्रयासों से इस अनुच्छेद को खत्म कर दिया गया. कश्मीर का पूरा इलाका जहां पर्वतीय है वहीं जम्मू वाला हिस्सा पंजाब से थोड़ा ऊंचा मैदानी पठार है. तवी नदी के किनारे बसा इसका प्रमुख शहर जम्मू कहलाता है. ठंड के मौसम में जब पहाड़ों पर ज्यादा बर्फबारी होती है तो सूबे की राजधानी जम्मू में शिफ्ट कर दी जाती है. जम्मू को प्राचीन मंदिरों का शहर भी कहा जाता है.  

पर्यटन

पहाड़ों पर चढ़ती-उतरती घुमावदार घाटियां. पल-पल बदलता बादलों का स्वरूप. आंखों में चमक और मन में उमंग पैदा करने वाला हर दिशा का अलग रंग.  मल्टिकलर फूलों से ढलानों में किया गया प्रकृति का ऋंगार. देखने वालों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर इसका चित्रकार कौन है. यहां आने वाला बरबस ही ईश्वरीय चमत्कार और उसकी शक्ति से अभिभूत हो जाता है. अंतस को छू जाने वाले इस अनुभव के कारण पूरी दुनिया के लोग यहां आना चाहते हैं. ये दुनिया के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में एक है.

श्रीनगर- ये कश्मीर की राजधानी है और बेहद ही खूबसूरत स्थान है. कश्मीर में पर्यटन की शुरूआत यहीं से होती है. यहां मौजूद डल झील दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी झील है. चारों तरफ हिमालय की सुरम्य वादियों से घिरा ये शानदार झील 18 किलोमीटर के दायरे में फैला है. झील के पानी में पहाड़ का प्रतिबिंब एकदम दर्पण की तरह प्रतीत होता है. ये झील अपने बोट हाउस और शिकारों के लिए भी प्रसिद्ध है. इसके अलावा यहां शालीमार बाग, शंकराचार्य मंदिर, चश्म-ए-शाही गार्डन, वुलर झील, ट्यूलिप गार्डन और परी महल जैसे दर्शनी स्थल हैं.

गुलमर्ग- बारामूला जिले का ये स्थान फूलों की घाटी के रूप में प्रसिद्ध है. यहां के हरे भरे ढलान पूरे साल दर्शकों को अपनी ओर खींचते हैं. यहां विश्व का सबसे बड़ा गोल्फकोर्स और देश का प्रमुख स्की रिजॉर्ट भी है. ये फिल्मकारों के लिए शूटिंग का सबसे पसंदीदा स्थान है. यहां की वादियों का नजारा लेने के लिए रोप-वे की सुविधा है. इसके साथ ही अफरवात पीक, बाबा रेशी मंदिर, खिलनमार्ग, तंगमार्ग, बायोस्फियर रिजर्व, वेरीनाग और महारानी मंदिर देखे जा सकते हैं.  

सोनमर्ग- ये गांदरबल जिले में तीन हजार मीटर की ऊंचाई वाला एक हिल स्टेशन है. इसके चारों तरफ ग्लेशियर से ढके पहाड़ हैं. सोनमर्ग नाम का अर्थ “सोने का पथ” या “गोल्डन मीडो” के रूप में किया जाता है. बसंत के दिनों में ये नाम एकदम साकार होता हुआ दिखाई पड़ता है. यहां थजीवास ग्लेशियर, जोजीला पास दर्रा, विशनसर झील, नीलगढ़ नदी, बालटाल घाटी, युसमर्ग, कृष्णसर झील और गदासर झील पर्यटकों को खूब पसंद आते हैं.

डोडा- इस जिले का नाम मुल्तान से आए एक बर्तन निर्माता प्रवासी के नाम पर पड़ा है. प्रकृति की गोद में बसा डोडा एक आकर्षक पर्यटन स्थल है. यहां हिंदुओं के कई प्रसिद्ध मंदिर होने के कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व भी है. डोडा जम्मू क्षेत्र में आता है इसलिए जब घाटी तक जाना संभव ना हो तो कश्मीर का लघु स्वरूप का आनंद यहां आकर भी लिया जा सकता है. यहां भद्रवाह, चिंता घाटी, सिओज घास का मैदान और भाल पाद्री प्रमुख दर्शनीय स्थल है. गुप्त गंगा मंदिर, शीतला माता मंदिर, अलालबानी मंदिर और नागनी माता मंदिर विशेष धार्मिक महत्व के स्थान हैं.

पहलगाम- काफी लंबे अर्से से बाहरी दुनिया के लिए अनजान बने रहने के कारण इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती है. समुद्रतल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान में जहां एक तरह बर्फ से ढके पहाड़ हैं तो वहीं एकदम हरे घांस के ढलुआ मैदान हैं. एक तरफ दर्पण की तरह साफ पानी की झील है तो वहीं उस झील में खुद को निहारते देवदार के लंबे-लंबे वृक्षों का जंगल है. प्रसिद्ध तीर्थ स्थान अमरनाथ यात्रा का ये प्रारंभिक बिंदु है.पर्यटकों की खास पसंद में यहां अरु घाटी, लोलोब घाटी, बेताब घाटी और लोलाहोई ग्लेशियर शामिल हैं.

पटनीटॉप- ये ऊधमपुर जिले का एक शानदार हिल स्टेशन है. जम्मू की तरफ से कश्मीर में प्रवेश करना हो तो यहीं से उच्च हिमालय की घाटियों का आरंभ होता है. पहले इसे पाटन-दा-तालाब कहा जाता था. इसका अर्थ होता है राजकुमारी का तालाब. सुंदर पठार और घने देवदार के जंगल से घिरा पटनी टॉप सर्दियों में बर्फ की चादर से ढंक जाता है. स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग और पैरासेलिंग जैसे सर्दियों के खेल यहां के आकर्षण को और बढ़ा देते हैं. सात हजार फीट की ऊंचाई वाला नाथ टॉप यहां का सबसे ऊंचा स्थान है. ट्रेकिंग करने वाले लोगों के लिए ये किसी स्वर्ग से कम नहीं है. इसके साथ ही सनासर झील, नाग मंदिर, बुद्ध अमरनाथ मंदिर और पटनी टॉप सुरंग पर्यटन के लिए खास स्थान हैं.

व्यवसाय

जम्मू के कुछ मैदानी और पठारी क्षेत्र को छोड़ दें तो ये पूरा सूबा हिमालय की ऊंची पहाड़ियों पर बसा है. पहाड़ी ढलानों में सीढ़ीदार खेत बनाकर यहां के लोग किसानी को ही जीवन निर्वाह का सबसे बड़ा साधन बनाए हुए हैं. यहां चावल, मक्का, गेहूं, जौ और दलहन की फसले उगाई जाती हैं. फल और सूखे मेवे के उत्पादन में भी राज्य की गिनती होती है. केसर उत्पादन करने वाला ये एकमात्र राज्य है. गूर्जर और खानाबदोश यहां व्यापक पैमाने पर पशुपालन करते हैं. पशमीना ऊन और कस्तूरी के लिए भी ये सूबा जाना जाता है. कालीन उद्योग भी यहां खूब पनपा है. पर्यटन उद्योग से तो सभी उद्योग और लोग जुड़े ही हुए हैं.

अन्य जानकारियां

राज्य में साक्षरता दर 77.12 प्रतिशत है. पुरुष साक्षरता दर 83.92 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 56.65 प्रतिशत है. यहां प्रति 1000 पुरुषों में 908 है. राज्य की आधिकारिक भाषा ऊर्दू है. स्पितुक गुस्टर जांस्कर नाम का तिब्बती त्यौहार यहां का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है. दुम्हल डांस यहां का मुख्य नृत्य है.

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