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Jharkhand News: आदिवासियों के घटने की वजह आई सामने, हर कोई हैरान!

Jharkhand News: झारखंड का संथाल परगना डिविजन…इसी में एक ज़िला है पाकुड़, जो आदिवासी बहुल इलाका है । पिछले कुछ सालों में पाकुड़ में हिंदू-मुस्लिम आबादी में बहुत भयानक बदलाव आया है। स्थिति ऐसी हो गई है कि पाकुड़ में धीरे-धीरे आदिवासी घट रहे हैं और घुसपैठियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। अब गांवों की डेमोग्राफी ही बदल गई है।
खबर है कि हिंदू गांव था…आदिवासी रहते थे मिट्टी के घर थे..लेकिन अब यहां मस्जिद बन गई है….दस साल में पाकुड़ की डेमोग्राफी बदल गई है।ये खुलासा हैरान करने वाला था…लेकिन पाकुड़ में आदिवासियों को बेदखल करके गांवों में कब्जा करने वाले ये घुसपैठिए कहां से आ रहे हैं..झारखंड का ये इलाका बांग्लादेश की सीमा से सिर्फ 40 से 50 किलोमीटर दूर है । बांग्लादेश की सीमा से पाकुड़ सबसे नज़दीक है…. पश्चिम बंगाल के मालदा का मोहदीपुर बांग्लादेश सीमा से सटा है। इलाके में कहीं बाड़ तो कहीं सीमाएं खुली है।


मोहदीपुर से पश्चिम बंगाल के कालियाचक होते हुए फरक्का मोड़ से राजमहल के लिए सीधी सड़क है । रास्ते में कोई चेकपोस्ट भी मौजूद नहीं है । कालियाचक से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर बांग्लादेश की सीमा । कालियाचक आने के बाद झारखंड में दाखिल होना बेहद आसान है ।
बांग्लादेश से बंगाल होते हुए घुसपैठिये पाकुड़ में दाखिल हो रहे हैं…स्थानीय नेताओं और लोगों ने खुलासा किया कि घुसपैठियों को सीमा पार करवाने और पाकुड़ जैसे इलाकों में बसाने के लिए बाकायदा एजेंट काम करते है। जिनकी मदद से पहले ये घुसपैठिए आस पास के इलाको में ठिकाना बनाते हैं..फिर इनके निशाने पर आदिवासी लड़कियां आती हैं। जिन्हें फंसाकर ये जमाई टोला बना लेते हैं और फिर धीरे-धीरे आदिवासियों की ही जमीन पर कब्जा कर लेते हैं।


वकील ने कहा कि घुसपैठियों का कथित नेटवर्क मुस्लिम युवक को आदिवासी युवती के नजदीक लाता है, जो चंद रुपयों के लेन-देन के क्रम में प्यार में बदल जाता है। अंतत: लड़की शादी के लिए मान जाती है। शादी के बाद घुसपैठिया मुस्लिम वहीं बस जाता है। ऐसे कई लोग जिन जगहों पर रह रहे हैं उन्हें संथाल परगना में जमाई टोला कहा जाता है। शादी के बाद आदिवासी लड़की की जमीन पर भी मुस्लिम पति का अधिकार हो जाता है। आदिवासी कम हो रहे हैं और घुसपैठिए मुसलमानों की तादात लगातार बढ़ती जा रही है तो स्थानीय लोगों की टेंशन भी बढ़ गई है। झारखंड में डेमोग्राफी चेंज सियासी मुद्दा बन चुका है । सालों से इस इलाके में घुसपैठ हो रही है..लेकिन सरकार और प्रशासन की आंखें बंद हैं ।

Jharkhand News: झारखंड का संथाल परगना डिविजन…इसी में एक ज़िला है पाकुड़, जो आदिवासी बहुल इलाका है । पिछले कुछ सालों में पाकुड़ में हिंदू-मुस्लिम आबादी में बहुत भयानक बदलाव आया है। स्थिति ऐसी हो गई है कि पाकुड़ में धीरे-धीरे आदिवासी घट रहे हैं और घुसपैठियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। अब गांवों की डेमोग्राफी ही बदल गई है।
खबर है कि हिंदू गांव था…आदिवासी रहते थे मिट्टी के घर थे..लेकिन अब यहां मस्जिद बन गई है….दस साल में पाकुड़ की डेमोग्राफी बदल गई है।ये खुलासा हैरान करने वाला था…लेकिन पाकुड़ में आदिवासियों को बेदखल करके गांवों में कब्जा करने वाले ये घुसपैठिए कहां से आ रहे हैं..झारखंड का ये इलाका बांग्लादेश की सीमा से सिर्फ 40 से 50 किलोमीटर दूर है । बांग्लादेश की सीमा से पाकुड़ सबसे नज़दीक है…. पश्चिम बंगाल के मालदा का मोहदीपुर बांग्लादेश सीमा से सटा है। इलाके में कहीं बाड़ तो कहीं सीमाएं खुली है।
मोहदीपुर से पश्चिम बंगाल के कालियाचक होते हुए फरक्का मोड़ से राजमहल के लिए सीधी सड़क है । रास्ते में कोई चेकपोस्ट भी मौजूद नहीं है । कालियाचक से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर बांग्लादेश की सीमा । कालियाचक आने के बाद झारखंड में दाखिल होना बेहद आसान है ।
बांग्लादेश से बंगाल होते हुए घुसपैठिये पाकुड़ में दाखिल हो रहे हैं…स्थानीय नेताओं और लोगों ने खुलासा किया कि घुसपैठियों को सीमा पार करवाने और पाकुड़ जैसे इलाकों में बसाने के लिए बाकायदा एजेंट काम करते है। जिनकी मदद से पहले ये घुसपैठिए आस पास के इलाको में ठिकाना बनाते हैं..फिर इनके निशाने पर आदिवासी लड़कियां आती हैं। जिन्हें फंसाकर ये जमाई टोला बना लेते हैं और फिर धीरे-धीरे आदिवासियों की ही जमीन पर कब्जा कर लेते हैं।
वकील ने कहा कि घुसपैठियों का कथित नेटवर्क मुस्लिम युवक को आदिवासी युवती के नजदीक लाता है, जो चंद रुपयों के लेन-देन के क्रम में प्यार में बदल जाता है। अंतत: लड़की शादी के लिए मान जाती है। शादी के बाद घुसपैठिया मुस्लिम वहीं बस जाता है। ऐसे कई लोग जिन जगहों पर रह रहे हैं उन्हें संथाल परगना में जमाई टोला कहा जाता है। शादी के बाद आदिवासी लड़की की जमीन पर भी मुस्लिम पति का अधिकार हो जाता है। आदिवासी कम हो रहे हैं और घुसपैठिए मुसलमानों की तादात लगातार बढ़ती जा रही है तो स्थानीय लोगों की टेंशन भी बढ़ गई है। झारखंड में डेमोग्राफी चेंज सियासी मुद्दा बन चुका है । सालों से इस इलाके में घुसपैठ हो रही है..लेकिन सरकार और प्रशासन की आंखें बंद हैं ।

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