Justice Sanjiv Khanna: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में सुबह 10 बजे पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही जस्टिस खन्ना ने निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल छह महीने का रहेगा और वह 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
जस्टिस खन्ना का न्यायिक करियर विभिन्न महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामलों में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के बाद, उन्होंने चुनावी बॉन्ड, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम), और जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 जैसे कई बड़े मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, संवैधानिक मामलों, टैक्स, मध्यस्थता, वाणिज्यिक कानून और पर्यावरण कानून जैसे क्षेत्रों में भी उनका व्यापक अनुभव है।
जस्टिस संजीव खन्ना का कानूनी सफर और योगदान
14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में बतौर वकील शामिल होकर अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। उन्होंने दिल्ली के आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के रूप में भी काम किया। उनके इस कानूनी सफर में संवैधानिक कानून और वाणिज्यिक कानून के क्षेत्रों में गहरा योगदान रहा। जस्टिस खन्ना की नियुक्ति को लेकर हाल ही में विधि एवं न्याय मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा उन्हें अनुच्छेद 124(2) के तहत देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर नियुक्त किए जाने की पुष्टि की गई थी।
सीजेआई चंद्रचूड़ की विदाई
जस्टिस खन्ना के शपथ ग्रहण से पहले, भारत के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भावपूर्ण विदाई ली। अपने अंतिम कार्य दिवस पर चंद्रचूड़ ने अपने करियर पर विचार करते हुए कहा कि समाज के जरूरतमंद लोगों की सेवा करने से बड़ी कोई भावना नहीं है। उन्होंने शुक्रवार को अपने विदाई भाषण में अपनी यात्रा का जिक्र किया, जिसमें एक साधारण कानून के छात्र से लेकर देश के मुख्य न्यायाधीश बनने तक का सफर शामिल है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल को राष्ट्र की सेवा करने का सम्मान बताते हुए कहा कि इस पद ने उन्हें पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से विकास के कई अवसर प्रदान किए हैं।
चंद्रचूड़ का कार्यकाल न्यायिक सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए जाना जाएगा। उन्होंने न्यायालयों में मामलों की तेजी से निपटान की दिशा में कदम उठाए और तकनीक को न्याय प्रक्रिया का हिस्सा बनाने के लिए प्रयास किए। उनके नेतृत्व में कोर्ट ने डिजिटलाइजेशन को अपनाया, जिससे आम नागरिकों को न्याय प्रक्रिया में भाग लेना और अपनी याचिकाएं दाखिल करना अधिक सुलभ हुआ।
जस्टिस खन्ना की मुख्य प्राथमिकताएं
मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन इसे न्यायिक प्रणाली में बदलाव लाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है। उनके नेतृत्व में कोर्ट में लंबित मामलों को तेजी से निपटाने और आम नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए न्याय प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाने की दिशा में काम करने की उम्मीद है।
जस्टिस खन्ना के नेतृत्व में आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई महत्वपूर्ण मामले आने वाले हैं, जिनमें संवैधानिक मुद्दों के साथ-साथ चुनाव सुधार, आर्थिक अपराध और पर्यावरण से संबंधित मामले शामिल हैं। न्यायिक प्रणाली में तकनीकी सुधारों की आवश्यकता और त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में उनके नेतृत्व में उठाए जाने वाले कदमों का सभी को इंतजार है।
जस्टिस खन्ना ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए सभी न्यायाधीशों, वकीलों और न्यायिक कर्मियों के सहयोग की जरूरत है। उनका कहना है कि न्याय प्रणाली को मजबूत बनाने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।