Kedarnath Dham Route: केदारनाथ धाम के दर्शन होंगे आसान, 11 किमी कम होगा पैदल रास्ता… 7KM लंबी सुरंग की योजना
उत्तराखंड में केदारनाथ धाम तक सात किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी। वर्तमान में गौरीकुंड से रामबाड़ा-लिनचोली होते हुए केदारनाथ धाम तक पैदल मार्ग 16 किलोमीटर का है। सुरंग बनने के बाद यह मार्ग 11 किलोमीटर से घटकर 5 किलोमीटर रह जाएगा।
Kedarnath Dham Route: उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में भोले बाबा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए और 2013 और जुलाई 2024 की त्रासदियों से सबक लेते हुए, केंद्र सरकार मंदिर तक पहुंचने के लिए एक नया और सुरक्षित मार्ग बनाएगी। नए और सुरक्षित मार्ग के निर्माण की योजना पर काम शुरू हो चुका है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो आने वाले चार-पांच सालों में श्रद्धालुओं को केदारनाथ मंदिर पहुंचने के लिए दो रास्ते मिल जाएंगे।
इनमें से किसी एक रास्ते से श्रद्धालु हर मौसम में सीधे मंदिर तक पहुंच सकेंगे। इसके लिए पहाड़ पर सात किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय इस पर विचार कर रहा है। इतना ही नहीं, मंत्रालय ने सुरंग बनाने के लिए कंसल्टेंट के माध्यम से पहाड़ पर शुरुआती सर्वे भी करवा लिया है। राज्य से 6562 फीट ऊपर कालीमठ घाटी के आखिरी गांव चौमासी से केदारनाथ मंदिर से पांच किमी पहले लिनचोली (10 हजार फीट) तक सुरंग बनाने की योजना है।
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वर्तमान में केदारनाथ धाम का मार्ग 16 किलोमीटर है
वर्तमान में गौरीकुंड से रामबाड़ा-लिनचोली होते हुए केदारनाथ धाम तक पैदल मार्ग 16 किलोमीटर है। सुरंग बनने के बाद यह मार्ग घटकर मात्र पांच किलोमीटर रह जाएगा। यानी पैदल मार्ग 11 किलोमीटर कम हो जाएगा। चौमासी तक पक्की सड़क से जाया जा सकेगा। इसके बाद एक सुरंग बनेगी। फिर लिंगचोली से मंदिर तक पांच किलोमीटर पैदल चलना होगा।
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पिछले साल हुआ था सर्वेक्षण
राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तराखंड के मुख्य अभियंता के अनुसार, सुरंग की ड्राइंग कंसल्टेंट द्वारा तैयार कर ली गई है। इसे केंद्रीय अधिकारियों की एक टीम अंतिम रूप दे रही है। बता दें कि कालीमठ का रास्ता गुफ्तकाशी से होकर जाता है। पिछले साल सितंबर में पांच सदस्यीय टीम ने चौमासी-खाम बुग्याल-केदारनाथ मार्ग का सर्वेक्षण किया था।
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उस समय टीम ने कहा था कि इस पूरे मार्ग पर कहीं भी भूस्खलन क्षेत्र नहीं है। यहां कठोर चट्टानें हैं। बुग्याल के ऊपर और नीचे रास्ते बनाए जा सकते हैं। कई जगहों पर भूमिगत जल रिस रहा है, लेकिन इसके लिए उपाय किए जा सकते हैं।
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