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Stubble Burning Fine in UP: जानें किस जिले में अब पराली जलाना होगा बड़ा अपराध

Know in which district burning stubble will now be a big crime

Stubble Burning Fine in UP: उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में धान की फसल काटने के बाद पराली जलाने पर किसानों को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। फसलों की कटाई के बाद बचे अवशेषों को जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। ऐसे में अगर किसान धान की कटाई के बाद पराली जलाते हैं तो उन्हें 3,000 से 15,000 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। इसके अलावा उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं, योजनाओं और पैसों से भी वंचित होना पड़ सकता है। पराली जलाने से रोकने और इसके प्रबंधन के लिए जिला प्रशासन ग्राम प्रधानों की मदद ले रहा है। प्रधानों के जरिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा खेतों में पराली जलाने की घटना पर नजर रखने के लिए एक टीम बनाई गई है, जो सैटेलाइट की मदद से इस पर नजर रखेगी।

लेखपाल और प्रधान होंगे जिम्मेदार

आजमगढ़ में 2.11 हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी है। कुछ जगहों पर धान की कटाई भी शुरू हो गई है। ऐसे में धान की फसल पकने के बाद अधिकांश किसान मशीनों से इसकी कटाई कर लेते हैं और इसके बचे हुए अवशेषों को खेतों में ही जला देते हैं। इसे रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत पराली निस्तारण के लिए एसएमएस, हैप्पी फीडर, कस्टम हायरिंग सेंटर गन्ना सहकारी समिति और समूह के पास उपलब्ध फीड चॉपर का सस्ते दरों पर प्रयोग किया जा सकेगा। किसानों की ओर से दी गई सूचना पर पराली को गोशाला के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। किसी भी स्थान पर पराली जलाने पर हल्का लेखपाल और ग्राम प्रधान की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।

एफआईआर और जुर्माने के साथ ये सजा

अगर कोई भी किसान पराली जलाते हुए पकड़ा गया तो उस पर जुर्माना, एफआईआर, धान क्रय केंद्र पर ब्लैक लिस्ट करने, किसान सम्मान निधि से वंचित करने और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ रोकने जैसी सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अगर किसान पराली जलाते हुए पकड़े गए तो उन्हें क्षेत्र के हिसाब से 15 हजार रुपये तक का भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। पर्यावरण में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन और कृषि विभाग की ओर से यह पहल की गई है।

खेतों में बचे फसल अवशेषों को मिलाकर खाद बनाई जा सकती है, जिससे खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता भी बढ़ सकती है। इससे फसलों की पैदावार भी बढ़ सकती है। ऐसे में फसल की कटाई करते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे बचे हुए अवशेषों को जलाने की बजाय खाद बनाने में इस्तेमाल करें।

कृषि निदेशक मुकेश कुमार का कहना है कि किसानों को खेतों में फसल के अवशेष नहीं जलाने चाहिए, बल्कि उसे खेतों में मिलाकर खाद बनानी चाहिए। इस तरह खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती है और पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता।

Chanchal Gole

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