PM Modi Ukraine Visit Purpose: जाने पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा का मकसद
Know the purpose of PM Modi's visit to Ukraine
PM Modi Ukraine Visit Purpose: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक दिवसीय यात्रा पर यूक्रेन जा रहे हैं। वह कुछ ही घंटों में यूक्रेन पहुंचने वाले हैं। वह अपने यूरोपीय दौरे के दूसरे चरण में यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच रहे हैं, जहां वह राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से मुलाकात करने वाले हैं। पीएम मोदी ने पोलैंड से ट्रेन पकड़ी और फिर कीव के लिए अपनी यात्रा शुरू की। यूक्रेन दौरे पर जाने से ठीक छह हफ्ते पहले पीएम मोदी रूस गए थे, जिसके साथ कीव पिछले ढाई साल से जंग लड़ रहा है।
पीएम मोदी किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए यूक्रेन नहीं जा रहे हैं, बल्कि राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने उन्हें कीव आने का न्योता दिया था। हवाई क्षेत्र बंद होने की वजह से कीव जाने के लिए ट्रेन से जाना पड़ रहा है। पीएम मोदी का यूक्रेन दौरा सिर्फ सात घंटे का है। इतने छोटे दौरे को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि पीएम मोदी यूक्रेन क्यों जा रहे हैं, इसका मकसद क्या है और कीव दौरा कितना अहम है?
यूक्रेन दौरे का कारण क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रूस गए थे, तब उनकी काफी आलोचना हुई थी। यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों ने कहा था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नेता का रूस दौरा बिल्कुल भी ठीक नहीं है। यह बात रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कही गई थी। यहां गौर करने वाली बात यह है कि रूस भारत का पारंपरिक मित्र रहा है। ऐसे में अब पीएम मोदी यूक्रेन पहुंचकर कीव के साथ-साथ पश्चिमी देशों को भी खुश करना चाहते हैं। भारत ने अभी तक यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की निंदा नहीं की है।
भारत नहीं चाहता कि रूस उससे दूर जाए, साथ ही वह पश्चिमी देशों के साथ भी संबंध खराब नहीं करना चाहता। पीएम मोदी कई मौकों पर यूक्रेन में शांति की वकालत कर चुके हैं। उनकी यह यात्रा शांति स्थापना के उद्देश्य से की जा रही है। यही कारण है कि यूक्रेन जाने से पहले पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन के मित्र और साझेदार के तौर पर भारत उम्मीद करता है कि इस क्षेत्र में जल्द ही शांति और स्थिरता लौट आए। उन्होंने कहा कि वह ज़ेलेंस्की के साथ यूक्रेन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर विचार करेंगे।
यूक्रेन की यात्रा कितनी महत्वपूर्ण है?
मीडिया के अनुसार, आज़ादी के बाद से ही भारत की विदेश नीति में यूरोप कम प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। भारत ने सिर्फ़ चार बड़े यूरोपीय देशों – रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ संबंधों पर जोर दिया गया है। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद यह विदेश नीति बदल गई है। प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन और पोलैंड यात्रा यूरोप के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है।
भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा, “दशकों से भारत की नीति सभी देशों से समान दूरी बनाए रखने की रही है। आज भारत की नीति सभी देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने की है।” भारत ‘विश्व बंधु’ बनने की कोशिश कर रहा है, जिसके लिए वह मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है। वह रूस के साथ भी संबंध बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
यूक्रेन यात्रा से पीएम मोदी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत हमेशा से शांतिप्रिय देश रहा है। वह शांति की वकालत करता है और संघर्षों को खत्म करना चाहता है। अगर भारत यूक्रेन में सफल होता है तो विश्व बंधु के रूप में उसकी छवि और भी मजबूत होगी। ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा की अहमियत और भी बढ़ जाती है। शांति का सीधा मतलब है कि दुनिया में भारत का कद बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन में क्या करेंगे?
डीडब्ल्यू से बात करते हुए अशोका यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित जुल्का ने कहा, “भारत खुद को शांतिदूत के तौर पर पेश करने की कोशिश करेगा। यह भी दिखाएगा कि वह मानवीय सहायता में लगा हुआ है। अमेरिका से भारत की नजदीकी के बावजूद वाशिंगटन को नई दिल्ली पर संदेह है। प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा इन संदेहों को दूर करने में मदद करेगी।” विदेश मंत्रालय ने कहा कि नई दिल्ली कीव के लिए शांति योजना का अनावरण नहीं करेगा, लेकिन भारत शांति समझौते के लिए वार्ता का समर्थन करने के लिए तैयार है।
यूक्रेन दौरे का एजेंडा क्या है?
यूक्रेन पर रूस के युद्ध के अलावा कई और मुद्दे हैं जिन पर पीएम मोदी यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से चर्चा करेंगे। पूर्व राजदूत राजीव भाटिया कहते हैं, “रक्षा और आर्थिक सहयोग के साथ-साथ युद्ध के बाद यूक्रेन के पुनर्निर्माण में भारत की भूमिका पर भी चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि मोदी युद्ध छिड़ने के बाद भारतीय छात्रों को निकालने में मदद के लिए यूक्रेनी सरकार को धन्यवाद भी दे सकते हैं।” यूक्रेन में युद्ध के समय 19000 भारतीय छात्र वहां पढ़ रहे थे।