IMD PREDICTS: उत्तर भारत में बारिश की कमी और शीत लहर की चेतावनी: IMD की रिपोर्ट
IMD PREDICTS: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना जताई है। इस पूर्वानुमान के अनुसार, कम वर्षा का असर विशेष रूप से कृषि क्षेत्र पर पड़ सकता है, जिससे किसानों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, मध्य भारत में शीत लहर की स्थिति बनने के आसार हैं, जो ठंड के प्रभाव को और बढ़ा सकती है। मौसम विभाग की इस चेतावनी से विभिन्न क्षेत्रों में तैयारियों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
IMD PREDICTS: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जनवरी से मार्च के बीच देश के मौसम को लेकर एक अहम भविष्यवाणी जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर भारत में औसत से कम बारिश होने की संभावना है, जबकि मध्य भारत के कुछ हिस्सों में शीत लहर का असर अधिक रहेगा। यह बदलाव रबी फसलों और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
उत्तर भारत में बारिश का अभाव चिंता का कारण
आईएमडी ने कहा है कि इस साल उत्तर-पश्चिम, पूर्वी और पश्चिम-मध्य भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश सामान्य से कम रह सकती है। 1971 से 2020 के आंकड़ों के आधार पर, इस अवधि में औसत वर्षा 184.3 मिमी होती है, लेकिन इस बार यह आंकड़ा नीचे जा सकता है।
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पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में रबी फसलों की पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ सकता है। गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी फसलें सर्दियों में बारिश पर निर्भर रहती हैं। बारिश की कमी से इन फसलों का उत्पादन घट सकता है, जिससे किसानों की आय और आजीविका प्रभावित हो सकती है।
मध्य भारत में शीत लहर का खतरा
आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी हिस्सों में शीत लहर के दिनों की संख्या बढ़ सकती है। न्यूनतम तापमान सामान्य से कम रहने की संभावना है, जिससे ठंड का असर और अधिक महसूस होगा। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है, बल्कि दैनिक जीवन को भी प्रभावित कर सकती है।
देशभर में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा
मौसम विभाग ने यह भी संकेत दिया है कि देश के कई हिस्सों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के इलाकों में यह बदलाव विशेष रूप से दिखाई देगा। हालांकि, इस तापमान वृद्धि का असर ऊर्जा की खपत और जीवन की अन्य आवश्यकताओं पर पड़ सकता है।
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कड़ाके की ठंड से उत्तर भारत बेहाल
नए साल की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत में ठंड ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। दिल्ली में 1 जनवरी को न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। शहर में हल्के कोहरे ने सुबह और रात को जनजीवन पर असर डाला।
राजस्थान के जयपुर, बीकानेर और चूरू में भी तापमान क्रमशः 7.2, 7 और 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में घना कोहरा छाया रहा, जिससे तापमान और नीचे चला गया।
जम्मू-कश्मीर में हालात और गंभीर हैं। श्रीनगर में तापमान -1.5 डिग्री सेल्सियस, गुलमर्ग में -2.4 डिग्री सेल्सियस और पहलगाम में -6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। ठंड इतनी बढ़ गई है कि डल झील की सतह जम गई है, जो घाटी की सर्दी का तीव्र रूप दिखाती है।
किसानों और आम जनता के लिए सतर्कता जरूरी
आईएमडी की भविष्यवाणी किसानों और आम जनता दोनों के लिए एक चेतावनी है। जहां बारिश की कमी से रबी फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती है, वहीं शीत लहर से स्वास्थ्य और जीवन पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। ठंड से बचने के लिए पर्याप्त सावधानियां बरतने और समय पर कदम उठाने की सलाह दी गई है।
सरकार और प्रशासन को इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। किसानों को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन देकर उनकी समस्याओं को कम करने की आवश्यकता है।
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