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Mahakumbh 2025: महाकुंभ से देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती, श्रद्धालुओं पर खर्च हो सकते हैं 4 लाख करोड़ से ज्यादा

महाकुंभ से जीडीपी के आंकड़ों में 1% से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। 2023-24 में भारत की जीडीपी 295.36 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2024-25 में बढ़कर 324.11 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।

Mahakumbh 2025: मानवता का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम माना जाने वाला महाकुंभ मेला न केवल आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसका असाधारण आर्थिक प्रभाव भी है। 2024 के महाकुंभ से 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भारी बढ़ावा मिलेगा। इस आयोजन से न केवल सकल घरेलू उत्पाद में 1% से अधिक की वृद्धि होगी, बल्कि सरकारी राजस्व भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगा।

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40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुमान के अनुसार, इस आयोजन में 40 करोड़ से ज़्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आगंतुक आने की उम्मीद है। अगर हर व्यक्ति औसतन 5,000-10,000 रुपये खर्च करता है, तो कुल खर्च 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है। इससे आवास, परिवहन, खानपान, हस्तशिल्प और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों को लाभ होगा। यह व्यय जनवरी और फरवरी माह के दौरान अनियोजित अतिरिक्त आर्थिक गतिविधि का प्रतिनिधित्व करता है।

जीडीपी और टैक्स में वृद्धि होगी

जीडीपी के आंकड़ों में महाकुंभ की वजह से 1% से ज्यादा का विकास होने की उम्मीद है। भारत की जीडीपी 2023-24 में 295.36 लाख करोड़ रुपये थी, जो कि अब यानी 2024-25 में 324.11 लाख करोड़ रुपये बढ़कर होने की उम्मीद है। इस वृद्धि में महाकुंभ एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

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इनकम टैक्स, जीएसटी और अन्य अप्रत्यक्ष करों से सरकार का राजस्व कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। अकेले जीएसटी संग्रह का आंकड़ा 50,000 करोड़ रुपये को छू सकता है।

राज्य सरकार ने खर्च किए इतने हजार करोड़

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के लिए 16,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। यह निवेश उच्च-लाभ वाला साबित हो रहा है, जिससे सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों तरह के लाभ मिल रहे हैं।

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सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व

महाकुंभ जैसे आयोजन भारत की अर्थव्यवस्था की अनूठी संरचना को उजागर करते हैं, जहाँ संस्कृति और वाणिज्य का मिलन होता है। ऐतिहासिक रूप से, मेलों और धार्मिक आयोजनों ने व्यापार, पर्यटन और सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देने में मदद की है। महाकुंभ न केवल आर्थिक समृद्धि लाता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का माध्यम भी बनता है।

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Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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