महाराष्ट्र

Maharashtra Election 2024: हरियाणा चुनाव में BJP की जीत का महाराष्ट्र पर असर, गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर नई चुनौतियां

Maharashtra Election 2024: Impact of BJP's victory in Haryana elections on Maharashtra, new challenges regarding seat sharing in the alliance

हरियाणा विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए एक बार फिर सत्ता हासिल कर ली है। हरियाणा की यह निर्णायक जीत आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों पर भी असर डाल सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन की राजनीतिक स्थिति और मजबूत हो सकती है, जबकि विपक्षी गठबंधन ‘महाविकास आघाडी’ (MVA) के घटक दलों—कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और शिवसेना (यूबीटी)—में सीट बंटवारे को लेकर दबाव बढ़ सकता है।

बीजेपी का मनोबल बढ़ा, महायुति को फायदा


राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे के अनुसार, हरियाणा में बीजेपी की जीत के बाद महाराष्ट्र में भी पार्टी का मनोबल ऊंचा रहेगा, जिससे ‘महायुति’ गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी की सौदेबाजी की ताकत बढ़ जाएगी। हरियाणा के नतीजे इस बात का संकेत देते हैं कि बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बाद राज्य स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत की है। इससे महाराष्ट्र में बीजेपी को अपने सहयोगी दलों के साथ चुनावी समीकरण तय करते समय बढ़त मिल सकती है।

एमवीए के लिए बढ़ेंगी चुनौतियां


दूसरी ओर, महाराष्ट्र में विपक्षी ‘महाविकास आघाडी’ (MVA) को हरियाणा के नतीजों के बाद सीट बंटवारे पर चर्चा के दौरान कमजोर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद कांग्रेस को अब NCP और शिवसेना (यूबीटी) के सामने नरम रुख अपनाना होगा। देशपांडे ने कहा कि एमवीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर पहले से ही खींचतान चल रही है, ऐसे में हरियाणा के नतीजे उनकी स्थिति को और कमजोर कर सकते हैं।

महाराष्ट्र और हरियाणा की सियासत में फर्क


हालांकि, महाराष्ट्र और हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य एक-दूसरे से काफी भिन्न है। देशपांडे ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई थी, जबकि महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, वंचित बहुजन आघाडी समेत कई दल चुनावी मैदान में होते हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र में जातिगत समीकरण—जैसे मराठा बनाम ओबीसी और धनगर बनाम अनुसूचित जाति—भी चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं, जो हरियाणा में देखने को नहीं मिलते।

कांग्रेस को करना होगा पुनर्विचार


राजनीतिक टिप्पणीकार प्रकाश अकोलकर ने कहा कि कांग्रेस को हरियाणा के उदाहरण से सीखने की जरूरत है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन उसे विधानसभा चुनावों में अपने दावों पर पुनर्विचार करना होगा। अकोलकर ने कहा, “कांग्रेस को समझना चाहिए कि जनादेश चार महीने के भीतर बदल सकता है। “कांग्रेस को सीट बंटवारे में अनावश्यक दावे नहीं करने चाहिए। हरियाणा में उसकी हार का एक कारण गुटबाजी भी हो सकती है। अगर महाराष्ट्र में भी यह गलती दोहराई, तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।”

शिवसेना (यूबीटी) को बदलनी होगी रणनीति


अकोलकर ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) को भी ‘देशद्रोही’ और ‘विश्वासघात’ जैसे मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय यह बताना चाहिए कि वह मतदाताओं के लिए क्या कर सकती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मतदाता इन मुद्दों से अधिक विकास और स्थिरता को प्राथमिकता देंगे।

शिंदे गुट और एनसीपी का उत्साह


मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के सांसद और उनके बेटे श्रीकांत शिंदे ने कहा कि जिस तरह हरियाणा के मतदाताओं ने ‘विभाजनकारी रणनीति’ को खारिज किया, उसी तरह महाराष्ट्र में भी मतदाता ‘डबल इंजन’ वाली सरकार की ओर से दी जाने वाली स्थिरता और प्रगति को ही चुनेंगे। वहीं, एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हरियाणा का जनादेश ‘महायुति’ में शामिल दलों के लिए उत्साहवर्धक है और यह गठबंधन की स्थिति को और मजबूत करेगा।

कांग्रेस ने किया हरियाणा और महाराष्ट्र की तुलना को खारिज


हालांकि, कांग्रेस नेताओं ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि हरियाणा के नतीजे महाराष्ट्र चुनावों पर कोई असर डालेंगे। वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने कहा, “हरियाणा के नतीजे का महाराष्ट्र चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल भी मजबूत है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस महाराष्ट्र चुनाव में पूरे आत्मविश्वास के साथ उतरेगी और वहां की भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बनाएगी।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव अगले महीने होने की संभावना है। ऐसे में हरियाणा की जीत से उत्साहित बीजेपी और उसके सहयोगी दल आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे, जबकि कांग्रेस को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।

Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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