Mainpuri Latest News: क्या डिम्पल यादव के खिलाफ बीजेपी की उम्मीदवार होंगी संघमित्रा मौर्या ?
Mainpuri Latest News: मैनपुरी को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यह बात और है कि मैनपुरी सपा का गढ़ है और अभी सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव वहां से सांसद हैं। लेकिन खबर यह नहीं है कि मैनपुरी से इस बार भी डिम्पल यादव चुनावी मैदान में है। खबर तो यह है कि डिम्पल यादव के मुकाबले में बीजेपी किसको मैनपुरी से मैदान में उतार रही है।
बीजेपी ने अभी तक यूपी की 12 सीटों पर किसी भी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। बीजेपी के लिए ये सीटें काफी अहम और बीजेपी को अगर चार सौ पार के नारे को अंजाम में बदलना है तो यूपी की सभी सीटों को जीतना उसकी पहली प्राथमिकता है। बीजेपी ऐसा करेगी भी। अपने एनडीए साथियों के साथ बीजेपी सीटों को जीतने के लिए हर कोशिश कर रही है और अब मैनपुरी को कैसे सपा से छीन जाए इसकी भी रणनीति तैयार कर ली गई है।
मैनपुरी को फतह करने के लिए बीजेपी स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को मैदान में उतार सकती है। बीजेपी के भीतर इसी बात का मंथन चल रहा है कि चाहे जैसे भी हो डिम्पल यादव को चुनाव में हराना है और यह सीट बीजेपी के पाले में लाना है। जानकारी मिल रही है कि संघमित्रा को लेकर बीजेपी काफी संजीदा हो गई है बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने इस बावत प्रदेश चुनाव कमिटी के रिपोर्ट भी मांगी है।
जाहिर सी बात है कि संघमित्रा अगर मैदान में उतरती है तो डिम्पल की परेशानी बढ़ सकती है। इसके पीछे के जो कारण है वह हैं बसपा उम्मीदवार। बता दें कि मैनपुरी से सपा और बसपा ने उम्मीदवार घोषित किये हैं और सपा के साथ ही बसपा भी चुनाव प्रचार में जुट गई है। ऐसे हाल में अगर संघमित्रा को बीजेपी मैदान में उतार देतिउ है तो खेल बड़ा ही रोचक हो सकता है। हालांकि जानकार यह भी कह रहे हैं कि सपा और बीजेपी की लड़ाई में बसपा का पलड़ा फिर भारी हो सकता है।
लेकिन बीजेपी के लोगों का कहना है कि अगर संघमित्रा चुनाव में आती है तो सपा की मुश्किलें ज्यादा बढ़ सकती है। जानकार यह भी कहते हैं कि भले ही मैनपुरी के यादव और मुसलमान सपा के साथ खड़े हो लेकिन बीजेपी के साथ फिर सवर्णो का वोट बैंक और पिछड़ों का वोट बैंक अगर जुड़ गया तो सपा की परेशानी होगी। बीजेपी के लोग यह भी कह रहे हैं कि इस बार मुस्लिम वोट में बँटवार हो सकता है। बड़ी संख्या में सपा से नाराज मुस्लिम बसपा के साथ जा सकते हजाइन तो बीजेपी के साथ अधिकतर हिन्दू मतदाता खड़े हो सकते हैं।
जानकार कहते हैं कि ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन खेल यह भी हो सकता है कि सपा और बीजेपी की लड़ाई में बसपा भी आगे निकल सकती है। बता दें कि मैनपुरी सीट पर दलितों का भी बड़ा वोट बैंक है और फिर बसपा के साथ कई जातीय समीकरण भी है।
सपा से डिम्पल यादव मैनपुरी के मैदान में हैं तो बसपा के गुलशन शाक्य खड़े हैं। गुलशन शाक्य की भी अपनी पहचान है और जातीय समीकरण भी। ऐसे अभी से यह कोई नहीं जानता की जीत किसकी होगी। सपा अभी मजबूत जरूर दिख रही है लेकिन अगर संघमित्रा को बीजेपी मैदान में उतार देती है श सबसे बदु परेशानी सपा की ही बढ़ेगी।
मैनपुरी निश्चित तौर पर सपा का गढ़ है। दसा साल से सपा वहां से जीत रही है। पहले यहाँ से मुलायम सिंह यादव भी सांसद थे। उनके निधन के बाद ही यह सीट खाली हुई थी और डिम्पल यादव ने यहाँ से जीत हासिल की थी।
मैनपुरी की तरह ही फिरोजाबाद सीट भी बीजेपी के लिए परेशानी का शबब बना हुआ है। सपा ने यहाँ से अक्षय यादव को मैदान में उतारा है लेकिन बीजेपी ने अभी तक किसी को उम्मीदवार नहीं बनाया है। बीजेपी इन सीटों को लेकर अभी तक मंथन कर रही है। बीजेपी इन सीटों को जीतना तो चाहती है लेकिन सपा का गढ़ कैसे भेदा जाए अभी तक उसकी काट बीजेपी के पास नहीं है।
लेकिन अब बीजेपी जिस समीकरण पर काम कर रही है उससे साफ़ लगता है कि बीजेपी के लिए मैनपुरी सीट सांसे हॉट सीट हो गई है। अगर संघमित्रा को बीजेपी वाकई में यहाँ से उतार देती है तो लड़ाई दिलचस्प होगी और सपा की परेशानी भी बढ़ेगी। याद रहे मैनपुरी में बीजेपी का संगठन भी काफी मजबूत हो चला है और इस बात की सम्भावना भी बढ़ रही है कि पीएम मोदी जिस तरह से चार सौ पार का नारा दे रहे हैं उसके लिए यूपी की सभी सीटों को जितना बीजेपी की पहली शर्त है। ऐसे में देखना ये है कि संघमित्रा अगर मैदान में उतर जाती है तो वह डिमपाल यादव की कितनी बड़ी चुनौती दे पाती है।