Minority Commission: उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग में नई नियुक्तियां, सात सदस्यों को मिला दायित्व
उत्तराखंड सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग में सात नए सदस्यों की नियुक्ति कर आयोग की निष्क्रियता पर विराम लगाया है। इन नियुक्तियों से आयोग की कार्यक्षमता बढ़ेगी और अल्पसंख्यक समुदायों की शिकायतों का समाधान संभव होगा। जल्द ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों पर भी नियुक्तियां होने की उम्मीद है।
Minority Commission: उत्तराखंड सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग में लंबे समय से खाली पड़े सात सदस्य पदों पर आखिरकार दायित्व वितरित कर दिए हैं। इन नियुक्तियों से आयोग की निष्क्रियता पर विराम लगने की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि पिछले कई महीनों से आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के अभाव में कोई भी बैठक नहीं हो पाई थी।
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण सचिव धीराज सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सात नए सदस्यों की नियुक्ति की पुष्टि की है। यह नियुक्तियां काफी समय से लंबित थीं और सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही थी। अब जब सात सदस्य नियुक्त हो चुके हैं, तो आयोग के कार्यों को फिर से रफ्तार मिलने की संभावना है।
कौन-कौन बने नए सदस्य?
नव-नियुक्त सदस्यों में राज्य के विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। मुस्लिम समुदाय से महिला सदस्य के रूप में फरजाना बेगम को शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त, उधमसिंहनगर से सिख समुदाय के जगजीत सिंह जग्गा, ऋषिकेश से गगनदीप सिंह बेदी, जैन समुदाय से सुरेंद्र जैन, नैनीताल से बौद्ध समुदाय के येशी थूपतन, देहरादून से मुस्लिम समुदाय के नफीस अहमद और चंपावत से शकील अंसारी को सदस्य नियुक्त किया गया है।
सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इन सभी सदस्यों का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्षों तक प्रभावी रहेगा।
आयोग की निष्क्रियता बनी थी चिंता का कारण
उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और सात सदस्यों के पद होते हैं। लेकिन बीते कई महीनों से इनमें अधिकांश पद रिक्त थे। अध्यक्ष का पद 23 दिसंबर 2023 से खाली चल रहा था, जबकि एक उपाध्यक्ष का स्थान 9 मार्च 2024 को और दूसरा 29 अगस्त 2024 को रिक्त हो गया था। परिणामस्वरूप, 28 अगस्त 2024 के बाद से आयोग की कोई बैठक नहीं हो पाई, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो सका।
इस दौरान आयोग की ओर से न तो कोई निर्णय लिए जा सके और न ही नीतिगत चर्चाएं हो पाईं। इससे राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों में असंतोष की स्थिति बनने लगी थी।
अब बैठकें हो सकेंगी आयोजित
सात सदस्यों की नियुक्ति के बाद आयोग अब पुनः सक्रिय हो सकेगा। सूत्रों के अनुसार, जब तक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों पर नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक किसी एक सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष का दायित्व सौंपकर आयोग की बैठकें आयोजित की जा सकती हैं।
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सरकारी सूत्रों का यह भी कहना है कि जल्द ही अध्यक्ष और दोनों उपाध्यक्षों के पदों पर भी नियुक्तियां की जा सकती हैं, जिससे आयोग पूरी तरह से क्रियाशील हो जाएगा।
सामाजिक समावेशिता की ओर कदम
इस निर्णय को राज्य सरकार की सामाजिक समावेशिता और अल्पसंख्यक समुदायों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। आयोग के सक्रिय होने से विभिन्न समुदायों से जुड़ी शिकायतों और समस्याओं के निराकरण में तेजी आएगी।
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इसके अलावा, आयोग अब अपनी नीतिगत बैठकों के जरिए अल्पसंख्यकों के कल्याण और अधिकारों की रक्षा से जुड़े मुद्दों पर योजनाएं बना सकेगा।
उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग में लंबे समय बाद की गई ये नियुक्तियां न सिर्फ संस्थागत मजबूती प्रदान करेंगी, बल्कि राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों के विश्वास को भी पुनः स्थापित करेंगी। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पदों पर कब तक नियुक्ति होती है और आयोग किस गति से अपने कार्यों को आगे बढ़ाता है।
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