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Bharat Jodo Yatra: पुराने साथी छोड़ रहे कांग्रेस का साथ, ये भारत जोड़ो या परिवार बचाओ यात्रा?

New Delhi: 7 सितंबर से कांग्रेस की महत्वाकांक्षी 150 दिवसीय कांग्रेस ‘Bharat Jodo Yatra’ जारी है. इस पदयात्रा का नाम भले ही ‘Bharat Jodo Yatra’ है. लेकिन ये संकटग्रस्त कांग्रेस में जान फूंकने और पार्टी में गांधी परिवार के नियंत्रण को फिर से मजबूत करने की कोशिश है.

आखिर ये Bharat Jodo Yatra कितनी सफल होगी?

अक्टूबर में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव होने वाला है. एक तरफ जहां कांग्रेस वंशवाद के आरोपों में घिरी है. जिसको लेकर कांग्रेस के कई पुराने दिग्गज पार्टी छोड़ चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत जोड़ो यात्रा के अंतिम चरण तक क्या कांग्रेस जुड़ेगी या बिखरेगी. आखिर ये Bharat Jodo Yatra कितनी सफल होगी?

Bharat Jodo Yatra

अगर हम आज तक होने वाली यात्रा के बारे में बात करें तो, इसमें आडवाणी रथ यात्रा, जगन मोहन रेड्डी यात्रा, कांग्रेस पदयात्रा, राहुल यात्रा, कन्याकुमारी से श्रदांजलि देकर शुरुआत, जलती खाकी निक्कर, सोनिया-राहुल, संघ की शाखा, वामपंथी के निशान, गोधरा कांड, श्रीराम की फोटो, मुबंई 26-11 हमला, कसाब, केरल में राहुल-पादरी मुलाकात, राहुल मंदिर मंदिर जाते, कन्हैया कुमार, गुलाम नबी, अमरिंदर सिंह, गोवा कांग्रेस छोड़ी शामिल है.

इन देश ने राजनैतिक यात्राओं के फायदे देखे हैं. जब 1990 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने ‘राम रथ यात्रा’ निकाली. तो आगे जाकर बीजेपी 2 सीट से 182 लोकसभा सीटों तक पहुंच गई. वहीं 2018 में YSR कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी ने ‘प्रजा संकल्प यात्रा’ निकाल कर आंध्र प्रदेश में सरकार बना ली. ऐसे कई उदाहरण हैं. लेकिन क्या कांग्रेस अपनी पदयात्रा में सफल होगी?  इसको लेकर आखिर संशय क्यों बना हुआ है.

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सियासी पंडितों के अनुसार दरअसल जहां अन्य राजनैतिक यात्राओं में नेताओं की विचारधारा और यात्रा के उद्देश्य स्पष्ट थे. वहीं कांग्रेस की इस यात्रा में इसका नितांत अभाव है. पिछले दो दशकों से कांग्रेस और मां-बेटे की जोड़ी को अलग करके नहीं देखा गया है, और बीते कई दशकों से पार्टी अपनी मूल विचारधारा से अलग है. बौद्धिक कमी पूरी करने और खुद को बीजेपी से अलग दिखाने के लिए वो बार-बार RSS के खिलाफ उन बयानों का जिक्र करती है.

जिस पर वामपंथियों का एकाधिकार रहा है. वामपंथियों की सनातन संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रति घृणा शुरू से रही है. लगभग एक ही समय 1925 में संगठनात्मक जीवन शुरू करने के बाद संघ का आज समाज में कितना विस्तार है ये बताने की जरूरत नहीं. वहीं वामपंथी केवल केरल तक सिमट गए हैं.

Bharat Jodo

जिस वामपंथ का वैचारिक सिद्धांत दुनिया में दम तोड़ चुका है. उसकी घटिया कार्बन कॉपी बनकर कांग्रेस आज देश में प्रासंगिक रहना चाहती है. कांग्रेस का घटना जनाधार ही इसी वैचारिक उलझन का प्रमाण है. संघ के प्रति घृणा को मुखर रखते हुए ‘जलती खाकी निक्कर’ को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया.

कांग्रेस का वामपंथीकरण 2004-2014 में हुआ शुरू

लेकिन ‘Bharat Jodo Yatra’ की शुरुआत प्रख्यात संघ विचारक एकनाथ रानाडे के मौलिक विचार ‘विवेकानंद स्मारक शिला’ कन्याकुमारी में श्रद्धांजलि देकर की. वास्तव में कांग्रेस का वामपंथीकरण 2004-2014 में शुरू हुआ. तब गोधरा कांड को हादसा और श्रीराम को काल्पनिक बताकर पी चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे ने केंद्रीय गृहमंत्री रहते हुए.

झूठा भगवा आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ा. इन सब में दिग्विजय सिंह ने 2008 के 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले का आरोप संघ पर लगाया था. यदि आतंकी कसाब और डेविड हेडली नहीं पकड़े जाते तो कांग्रेस पाकिस्तान को क्लीन चिट दे चुकी होती. जिसका परिणाम होता कि कि पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन देश में और भयावह हमले करते. इसी कड़ी में कांग्रेस ने सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक 2011 संसद में पेश किया था.

जिसका उद्देश्य हिंदुओं को अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बनाना था. लेकिन बीजेपी के कड़े विरोध के बाद ये विधेयक वापिस लेना पड़ा. इस विधेयक का प्रारूप सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली परिषद ने तैयार किया था. जिसमें तीस्ता सीतलवाड़ और CAA के विरोध में शामिल रहे हर्ष मंदार थे.

कांग्रेस की मौजूदा पदयात्रा में जब राहुल केरल के एक चर्च में विवादित पादरी पोन्नैया से मिले तो वो राहुल के सामने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करते नजर आए. ये कोई पहली घटना नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के लिए एके एंटनी समिति ने पार्टी की हिंदू विरोध छवि को मुख्य कारण बताया था. इसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए गांधी परिवार ने चुनाव के समय हिंदू मंदिरों-मठों का दौरा करना शुरू कर दिया.

वामपंथी मानसिकता के अनुरूप भारत को राष्ट्र नहीं, बल्कि राज्यों का संघ कहते हैं, और 2016 में जेएनयू प्रकण में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा प्रकरण का हिस्सा रहे, विशुद्ध वामपंथी कन्हैया कुमार को अपनी पार्टी का हिस्सा बना चुके हैं. लेकिन जो कांग्रेस के पुराने हिस्से थे, पुराने स्तंभ थे. वो कांग्रेस छोड़ चुके हैं. कांग्रेस जोड़ो यात्रा शुरू होने से पहले ही कांग्रेस को 50 साल तक सेवा देने वाले गुलाम नबी आजाद का नाम सबसे ऊपर है.

गोवा कांग्रेस के 11 में से 8 विधायक कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल

इनके अलावा दो दिन पहले ही गोवा कांग्रेस के 11 में से 8 विधायक कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. जिनमें पूर्व सीएम दिगंबर कामत हैं, और अब पंजाब के पूर्व कांग्रेसी सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया है. पंजाब चुनाव से पहले अमरिंदर ने रस्साकशी के चलते कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था.

इनसे पहले कांग्रेस छोड़ने वाले दिग्गजों की एक लंबी सूची है. एक तरफ कांग्रेस से पुराने लोग टूट रहे हैं. तो दूसरी तरफ राहुल गांधी ‘Bharat Jodo Yatra’ निकाल रहे हैं. राहुल की पदयात्रा का फायदा तो फिलहाल इतना दिख रहा है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, तमिलनाडु और बिहार कांग्रेस ने राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव पास कर दिया है. लेकिन सवाल फिर से वहीं पर खड़ा है कि क्या इस तरह की पृष्ठभूमि में कांग्रेस का पुनर्जीवन संभव है?

न्यूज वॉच इंडिया के लिए उत्पल देव कौशिक

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