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राजनीति सनकः जानें कौन हैं ‘अर्थी बाबा’? क्यों अपनाया बौद्ध धर्म, वजह जान हो जाएंगे हैरान

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में एक ऐसा भी शख्स है,जो विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हर बार ताल ठोकता है। इस शख्स के प्रचार और सरकार के विरोध का भी अजब तरीका है। वह चुनावी समर में प्रचार अथवा किसी बात का विरोध 4 कंधों पर सवार होकर अर्थी लेकर सरकारी कार्यालय पहुंचा है। यह दृश्य देखकर हर व्यक्ति हैरान हो जाता है।

एमबीए पास अर्थी बाबा

‘अर्थी बाबा’ उर्फ राजन यादव ने अब बौद्ध भिक्षु का वस्त्र धारण कर लिये हैं। इससे पहले वह आम बौद्ध भिक्षु भंते नही थे। इनको जानने वाले उन्हें अर्थी बाबा के रुप जान लेते हैं। गोरखपुर के रहने ये अर्थी बाबा एमबीए पास राजन यादव हैं।

13 बार लड़ चुके हैं चुनाव

राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा विधानसभा, MLC से लेकर सांसद तक का चुनाव लड़ चुके हैं। वह अब तक 13 बार चुनाव लड़ चुके हैं। अर्थी बाबा अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए हुंकार भर रहे हैं।

शमशान में खोलेंगे चुनावी कार्यालय

गोरखपुर के नंदानगर कूड़ाघाट के रहने वाले धनपत यादव के बेटे राजन यादव उर्फ ‘अर्थी बाबा’ का कहना है कि वे अर्थी पर लेटकर चुनाव का पर्चा दाखिल करेंगे। उनका चुनाव कार्यालय चुनाव श्मशान में होगा। इसके लिए वे अभी से तैयारी में जुट गये हैं। राजन उर्फ अर्थी बाबा का कहना है कि वे वर्ष 2024 का लोकसभा का चुनाव अलग ढंग से लडेंगे। क्योंकि अब उन्होने बौद्ध धर्म अपना लिया है। वे विश्व शांति के साथ कुछ हटकर करना चाहते हैं।

पहली बार 2007 में पिपराइच से विधानसभा चुनाव लड़े

साल 2007 में वे पहली बार पिपराइच सीट से विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे थे। तभी से लेकर आज तक वे हर चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते हैं। हालांकि सफलता आज तक नहीं मिली। हर चुनाव लड़ने के कारण राजन यादव हमेशा सुर्खियों में बनें रहते हैं।

योगी- मोदी के खिलाफ लड़ चुके हैं चुनाव

अर्थी बाबा गोरखपुर से योगी के खिलाफ 2009 और 2014 में और 2019 में वाराणसी से पीएम मोदी तक के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं अर्थी बाबा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ भी लखनऊ से दावेदारी ठोकी थी, लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया था।  

धरने पर बैठे अर्थी बाबा का फाइल फोटो

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में अर्थी बाबा ने सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के खिलाफ भी आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन ऐन मौके पर वे पर्चा दाखिल नहीं कर सके थे।

100 प्रस्तावक न मिलने से नहीं लड़ सके थे राष्ट्रपति का चुनाव

अर्थी बाबा ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। लेकिन उस समय राष्ट्रपति प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ पर्चा दाखिल करने के लिए लेकिन 100 प्रस्तावक नहीं मिलन पाये थे। इस कारण उन्हें राष्ट्रपति के चुनावी मैदान से हटना पड़ा था।

अब कुशीनगर से बौद्ध भिक्षु भंते बनने के बाद 2024 में कुशीनगर जनपद से लोकसभा का चुनाव लड़ने की घोषणा कर रहे हैं। देखना यह है कि बौद्ध धर्म अपना कर अर्थी बाबा को क्या कोई राजनीतिक लाभ मिलेगा। या फिर एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पडेगा।

news watch india
Team News Watch India

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