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Sirathu : 45 साल से एसपी नहीं जीती, अबकी बार केशव प्रसाद को क्यों मिल रही टक्कर?

उत्तर प्रदेश के पांचवें चरणमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की सिराथू विधानसभा सीट सुर्खियों में है. एक तरफ बीजेपी इसे सेफ सीट मान रही है, वहीं एसपी ने पल्लवी पटेल को मैदान में उतारकर मुश्किल खड़ी कर दी है. बीएसपी की तरफ से मुनसब अली उस्मानी के आने से मुकाबला और भी ज्यादा रोचक हो गया है. ऐसे में समझते हैं कि केशव प्रसाद मौर्य को कहां और कैसे चुनौती मिल सकती है.

सिराथू से एसपी कभी नहीं जीती-बीएसपी देती रही है टक्कर

साल 1977 से लेकर 2017 तक की बात करें तो कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से एसपी कभी नहीं जीती है, लेकिन बीएसपी टक्कर देती रही है. सीट भी निकाली है.1977 से लेकर अब तक की बात करें तो सिराथू विधानसभा सीट से सिर्फ 2 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. साल 2012 और 2017 में. 2012 में केशव प्रसाद मौर्य और 2017 में शीतला प्रसाद को जीत मिली. वहीं इस सीट से बीएसपी ने चार बार जीत हासिल की.

अनुप्रिया पटेल की बहन दे रही हैं टक्कर

अबकी बार सिराथू सीट पर जातीय समीकरण कुछ उलझता हुआ दिख रहा है. दरअसल, यहां एसपी ने अनुप्रिया पटेल की बहन पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है. उनके लिए अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और जया बच्चन ने प्रचार किया है.अब समझते हैं कि जातीय समीकरण कैसे बिखर सकता है. दरअसल, सिराथू सीट पर कुर्मी वोटर ज्यादा हैं. लड़ाई ओबीसी चेहरों के बीच है. कुल 3 लाख 80 हजार वोटर हैं. 19% सामान्य, 33% दलित, 13% मुस्लिम और करीब 34% ओबीसी वोटर हैं. पिछड़ों में कुर्मी समाज निर्णायक भूमिका में है.

कई बड़े नेताओं का एसपी में शामिल होने से पड़ेगा फर्क

दरअसल, सिराथू की सीट पर केशव प्रसाद मौर्य के लिए इसलिए भी चुनौती है, क्योंकि बड़े दलित नेता इंद्रजीत सरोज बीएसपी छोड़कर एसपी में शामिल हो चुके हैं. उनके साथ ही बीएसपी के जिला अध्यक्ष रहे आनंद पटेल भी एसपी में चले गए. इस सीट पर बीएसपी का दबदबा रहा है. पल्लवी पटेल खुद को कुर्मी समाज की बेटी बता रही हैं. ऐसे में इन नेताओं का एसपी में जाने से बीजेपी को चुनौती मिल सकती है.

पांचवें चरण में निर्णायक भूमिका में कुर्मी वोटर

उत्तर प्रदेश में यादव के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी कुर्मी वोटर की है. अपना दल के दोनों धड़े सबसे ज्यादा इसी समुदाय की राजनीति करते हैं. यूपी में कुर्मी सैथवार समाज का वोट करीब 6% है, जिसमें पटेल, गंगवार, सचान, कटियार, निरंजन, चौधरी और वर्मा आते हैं.प्रयागराज और कौशांबी में कुर्मी वोटों का सबसे ज्यादा प्रभाव है. कुर्मी और गैर यादव की वजह से ही 2012 में बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर केशव मौर्य पहली बार सिराथू से जीते. बीजेपी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कुर्मी समाज से आते हैं और मिर्जापुर के रहने वाले हैं.

पूरे चुनाव में एसपी ने बीजेपी के ओबीसी चेहरे (केशव प्रसाद मौर्य) को डेंट पहुंचाने के लिए कई बयान दिए. सिराथू सीट के जरिए पूरे प्रदेश में मैसेज देने की कोशिश की कि बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य का सम्मान नहीं किया. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पांचवें चरण में चेहरों की लड़ाई में कौन बाजी मारता है.

admin

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