क्या कांग्रेस तेलंगाना और दिल्ली में केसीआर और केजरीवाल से समझौता करेंगी ?
Political News: एक तरफ 2024 में बीजेपी को पटखनी देने के लिए विपक्षी एकता की कहानी को तेजी से नीतीश कुमार आगे बढ़ा रहे हैं। नीतीश कुमार का यह कदम कांग्रेस के इशारे पर ही बढ़ रहा है। उनकी लगातार दौरे चल रहे हैं। मुंबई दौरा है जहँ उनकी मुलाक़ात उद्धव ठाकरे और शरद पवार से होने वाली है। इससे पहले नीतीश कुमार ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से भी मिलकर आगे की रणनीति पर चर्चा की। नीतीश कुमार इससे पहले और भी कई नेताओं से मिल चुके हैं। वे दक्षिण भारत की यात्रा पर भी जाने वाले हैं। कहा जा रहा है कि उनकी मुलाक़ात चंद्रबाबू नायडू से भी होगी और छगन रेड्डी से भी। इसके साथ ही नीतीश कुमार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन से भी मिलेंगे। मकसद एक ही है। सबको मिलकर चुनाव लड़ना है और बीजेपी को हराना है।
लेकिन सवाल है कि क्या कांग्रेस तेलंगाना और दिल्ली में यहां के क्षत्रपों से समझौता करेंगे ? दिल्ली के बड़े क्षत्रप अरविन्द केजरीवाल है। उनकी दो राज्यों में सरकर है। दिल्ली में आप की जमीन काफी गहरी हो चुकी है और आप लगातार यह जीत भी रही है। उसी तरह से तेलंगाना में भी केसीआर की राजनीति काफी मजबूत है और उनकी लगातार सरकार भी चल रही है। तेलंगाना में इसी साल के अंत तक चुनाव होने हैं जबकि दिल्ली में 2025 की शुरुआत में ही चुनाव होंगे। दिल्ली में अब एमसीडी पर भी आप का कब्जा हो चुका है। कह सकते हैं कि आप की राजनीति यहाँ बहुत ही मजबूत है।
उधर नीतीश कुमार का यह फार्मूला है कि सभी दल मिलकर चुनाव लड़ें। एक सीट पर एक उम्मीदवार और जहाँ जो क्षेत्रीय पार्टी मजबूत है उसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाये। अभी तक का फार्मूला यही है। लेकिन कांग्रेस जिस तरह की राजनीति करती दिख रही है उससे तो यही लगता है कि कांग्रेस तेलंगाना और दिल्ली में आर पार के मूड में है। दिल्ली में कांग्रेस के नेता लगातार आप की राजनीति के साथ ही केजरीवाल पर हमला करती दिख रही है। संदीप दीक्षित से लेकर अजय माकन लगातार केजरीवाल को घेर रहे हैं और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा रहे हैं। यह बात और है कि कई मसलों पर केजरीवाल और कांग्रेस के बीच समझौते की बात सामने आती है लेकिन जिस तरह से अभी कांग्रेस हमला कर रही है उससे तो लगता ही कि दिल्ली की राजनीति से कांग्रेस बेदखल नहीं होना चाहती। कांग्रेस के नेताओं को लग रहा है कि दिल्ली में नयी ऊर्जा के साथ राजनीति करने की जरूरत है। और कहा जा रहा है कि कर्नाटक के चुनावी परिणाम सामने आने के बाद दिल्ली संगठन में बड़ा फेर बदल कांग्रेस करेगी।
उधर तेलंगाना के साथ भी कांग्रेस का यही रवैया है। केसीआर अब विपक्षी एकता की बात करने लगे हैं लेकिन कांग्रेस लगातार केसीआर पर हमलावर हैं। पिछले दिनों प्रियंका गाँधी ने कर्नाटक चुनाव से पहले तेलंगाना का दौरा भी किया। भाषण भी दिया। प्रियंक की सभा में कफी भीड़ उमड़ी थी। उन्होंने बहुत कुछ कहा। यहाँ तक कहा कि अब बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। कांग्रेस को सत्ता में लाने की जरूरत है। जब तक कांग्रेस सत्ता में नहीं आती युवाओं की परेशानी ख़त्म नहीं होती। जाहिर है कांग्रेस अब पूरी ताकत के साथ तेलंगाना में चुनाव की तैयारी कर रही है। ऐसे में विपक्षी एकता की कहानी किन शर्तों के साथ आगे बढ़ेगी कहना मुश्किल है।