Bihar Elections 2025: नीतीश ने चिराग-मांझी को किया खड़ा, क्या उन्होंने भाजपा के खिलाफ अपनी सौदेबाजी की शक्ति बढ़ा दी?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने कई आयोग बनाकर एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को खुश करने के लिए उनके रिश्तेदारों को अनुसूचित जाति आयोग में नियुक्त किया गया है। महादलित, मछुआरे और अल्पसंख्यक आयोगों का गठन स्पष्ट रूप से जातिगत समीकरणों को संतुलित करने और राजनीतिक समर्थन बढ़ाने की नीतीश की रणनीति को दर्शाता है।
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के साथ ही शह-मात का खेल शुरू हो गया है। सीएम नीतीश कुमार राज्य की सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए एक के बाद एक बड़े दांव चल रहे हैं। चुनावी सरगर्मी के बीच नीतीश कुमार ने राजनीतिक और जातिगत समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए कई आयोगों का गठन करना शुरू कर दिया है। अब तक बिहार के पांच आयोगों का पुनर्गठन किया जा चुका है, जिसमें अल्पसंख्यक आयोग, सवर्ण आयोग, महादलित आयोग, एससी-एसटी आयोग और मछुआरा आयोग शामिल हैं। बिहार में गठित इन सभी आयोगों में नीतीश सरकार ने जातिगत समीकरणों से लेकर राजनीतिक गणित तक हर चीज का पूरा ख्याल रखा है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार की एनडीए सरकार का सामान्य प्रशासन विभाग विभिन्न आयोगों की अलग-अलग अधिसूचना जारी कर रहा है। सरकार ने आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ सदस्यों के नाम भी जारी कर दिए हैं। बिहार में विभिन्न आयोगों के गठन की मांग लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए नीतीश सरकार ने आनन-फानन में राजनीतिक नियुक्तियां करनी शुरू कर दी हैं। इस तरह से नीतीश कुमार एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश करते दिख रहे हैं, साथ ही चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को साधकर बीजेपी के साथ राजनीतिक सौदेबाजी की ताकत बढ़ाने की रणनीति भी है।
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नीतीश ने चिराग-मांझी को साधा
बिहार के अनुसूचित जाति आयोग का गठन कर नीतीश कुमार ने चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को खुश कर दिया है। चिराग के साले मृणाल पासवान को एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि उपाध्यक्ष का पद जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को दिया गया है। इन दोनों नेताओं के अलावा संजय कुमार रविदास, रूबल रविदास, अजीत कुमार चौधरी, ललन राम, राम नरेश कुमार, राम ईश्वर रजक और मुकेश मांझी को एससी आयोग का सदस्य बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और चिराग पासवान अपनी मांगों को सार्वजनिक रूप से उठाते रहे हैं। अब इसे सीएम नीतीश कुमार की ओर से यह संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है कि उनकी मांगों को सुन लिया गया है और एनडीए एकजुट है।
अध्यक्ष बने मृणाल पासवान लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी के दामाद हैं। राजकुमारी देवी से उन्हें दो बेटियां आशा और उषा पासवान हैं। आशा की शादी राजद नेता साधु पासवान से हुई है, जबकि उषा की शादी धनंजय कुमार उर्फ मृणाल पासवान से हुई है। रामविलास पासवान की दूसरी पत्नी रीना पासवान हैं, जिनसे उन्हें एक बेटा चिराग पासवान और एक बेटी निशा पासवान हैं। इस तरह मृणाल पासवान चिराग के समधी हैं, जिन्हें नीतीश ने एससी आयोग की कमान सौंपी है।
बिहार एससी आयोग के उपाध्यक्ष देवेंद्र मांझी केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के दामाद हैं। देवेंद्र मांझी तब चर्चा में आए थे जब सीएम रहते हुए जीतन राम मांझी ने उन्हें अपना पीए बनाया था। विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अब उन्हें एससी आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर सेट कर दिया गया है। विधानसभा चुनाव की राजनीतिक गर्मी को देखते हुए नीतीश ने मांझी और चिराग दोनों के साथ राजनीतिक संतुलन बनाने का दांव खेला है ताकि वह भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक सौदेबाजी की ताकत को मजबूत तरीके से बढ़ा सकें।
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महादलित एवं मछुआरा आयोग
नीतीश सरकार ने बिहार के वैशाली के राम नरेश कुमार, भोजपुर के राम ईश्वर रजक, पटना के अजीत कुमार चौधरी, मुंगेर के मुकेश मांझी को महादलित आयोग का सदस्य बनाया है। इसके साथ ही मछुआरा आयोग का भी गठन किया गया है, जिसे लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें पूर्वी चंपारण के चूड़ी हरवा टोला के ललन कुमार को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। पश्चिम चंपारण जिले के रहने वाले शैलेंद्र कुमार को राज्य अनुसूचित जनजाति यानी एसटी आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
मछुआरा समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया मछुआरा आयोग का गठन
मछुआरा समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए मछुआरा आयोग का गठन किया गया है, जो मछुआरों के कल्याण, सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए काम करेगा। ललन कुमार को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि बक्सर के अजीत चौधरी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावा समस्तीपुर के विद्यासागर सिंह निषाद, पटना के राजकुमार और भागलपुर की रेणु सिंह को आयोग का सदस्य बनाया गया है। बिहार में मछुआरा समुदाय की आबादी करीब 7 फीसदी है, जो सत्ता के खेल को बनाने या बिगाड़ने की ताकत रखता है।
विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी इस बार महागठबंधन के साथ हैं। मुकेश सहनी निषाद समुदाय यानी मछुआरा समुदाय की राजनीति करते रहे हैं और लगातार निषाद आरक्षण की मांग उठाते रहे हैं। मुकेश सहनी इस समय महागठबंधन में हैं, इसलिए इसे नीतीश सरकार का बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है, जो मुकेश सहनी के राजनीतिक प्रभाव को कम करने के साथ-साथ मछुआरा समुदाय को अपने पक्ष में रखने की रणनीति है।
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नीतीश ने एक तीर से कई निशाने साधे
विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में चिराग पासवान और मांझी दोनों पूरी तरह से सक्रिय हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को काफी नुकसान पहुंचाया था, तो मांझी का आक्रामक रवैया भी किसी से छिपा नहीं है। नीतीश कुमार ने आयोग बनाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। वक्फ संशोधन एक्ट पर मोदी सरकार का समर्थन करने से मुस्लिम मतदाता नीतीश कुमार से नाराज हैं, उन्हें खुश करने के लिए मौलाना गुलाम रसूल बलियावी को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। बलियावी वक्फ एक्ट का विरोध करते रहे हैं। इसके अलावा मौलाना नूरानी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इस तरह से इसे मुसलमानों की नाराजगी दूर करने की नीतीश सरकार की रणनीति मानी जा रही है।
नीतीश कुमार ने न सिर्फ अल्पसंख्यक आयोग बल्कि सवर्णों, दलितों और मछुआरों को भी खुश करने की कोशिश की है। उन्होंने चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को भी खुश रखने की कोशिश की है। विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण बनाने और राजनीतिक माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए नीतीश का ये कदम माना जा रहा है। इस तरह से नीतीश कुमार 2020 की राजनीतिक गलती को दोहराना नहीं चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इस बार उन्हें सिर्फ 47 सीटों के साथ सत्ता की स्टीयरिंग नहीं मिलेगी। ऐसे में जेडीयू का लक्ष्य 70 से 80 विधानसभा सीटों पर फिर से जीत का परचम लहराना है, जिसे हासिल करने के लिए नीतीश एक के बाद एक बड़ी चाल चल रहे हैं?
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