नई दिल्ली: आज पूरी दुनिया विश्व रक्तदाता दिवस यानी वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मना रहा है. ये दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हर साल 14 जून को मनाया जाता है. इस दिन को सेलिब्रेट करने का मकसद सेफ ब्लड डोनेशन के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. अक्सर लोग ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों के मन में कंफ्यूजन रहती है.
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे ब्लड डोनेशन के लिए ध्यान में रखने वाली जरूरी बातें और साथ ही ये भी बताएंगे किन-किन लोगों को रक्तदान से बचना चाहिए. इसे बहुत ही उपयोगी दान माना जाता है क्योंकि यह कई जिंदगियां बचाता है.
लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि ब्लड डोनेशन करने से मानसिक और शारीरिक फायदे भी होते हैं. हालांकि, कोई भी व्यक्ति जो ब्लड डोनेशन करना चाहता है वह अच्छे हेल्थ, मानसिक रूप से सतर्क और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए. डोनेशन से पहले आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
- ब्लड डोनेशन के लिए आपकी उम्र 18 साल और ब्लड डोनेशन के लिए अधिकतम आयु 65 वर्ष होती है.
- यह जरूरी है कि डोनर का वजन कम से कम 55 किलो होना चाहिए.
- लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ब्लड डोनेशन के लिए पुरुषों में 90 दिन और महिलाओं में 120 दिन का अंतराल होना चाहिए.
- ब्लड डोनेशन से पहले डोनर की नब्ज 60- 100 बीपीएम के बीच होना चाहिए और उनका हीमोग्लोबिन 12.5g/dL होना चाहिए.
- डोनर रात की शिफ्ट में काम करने वाला नहीं होना चाहिए. डोनेशन से पहले डोनर का फास्ट नहीं होना चाहिए. वहीं डोनर को किसी तरह की सांस की परेशानी नहीं होनी चाहिए.
- डोनेशन से पहले डोनर को शराब नहीं पीनी चाहिए या नशे के लक्षण नहीं दिखाना चाहिए. डोनर को खून से जुड़ी कोई बीमारी नहीं होनी चाहिए.
हेल्दी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है लेकिन कभी-कभी किसी स्थिति में ब्लड डोनेशन करने से बचना चाहिए. मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति को 3 महीने के लिए इसे टालना चाहिए और टाइफाइड से ठीक होने पर 12 महीने तक इंतजार करना चाहिए. वहीं ट्यूबरक्लोसिसी जैसी बीमारी वाले व्यक्ति को इसे 2 साल के लिए टालना चाहिए. डायबिटीज के मरीजों को इसे करने से बचना चाहिए अगर यदि वे दवा ले रहे हैं.
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इसके अलावा, अगर किसी व्यक्ति की बड़ी सर्जरी हुई है तो उसे 12 महीने और मामूली सर्जरी के लिए 6 महीने का इंतेजार करना चाहिए. महिलाओं के मामले में, पीरियड्स और प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड डोनेशन को रोकना चाहिएत. अगर किसी महिला ने हाल ही में डिलीवरी की है, तो उसे डिलीवरी के बाद 12 महीने के लिए इसे टाल देना चाहिए. वहीं गर्भपात होने की स्थिति में एक महिला को 6 महीने के लिए टालना चाहिए. स्तनपान के मामले में, उसे स्तनपान की कुल अवधि के लिए होना चाहिए. टैटू, एक्यूपंक्चर या बॉडी पीयरसिंग वाले लोगों को 12 महीने के लिए टालना चाहिए.
एक्सपर्ट के अनुसार इन लोगों को ब्लड डोनेशन बंद कर देना चाहिए-
-डायबिटीड पेशेंट जो इंसुलिन पर हैं
-कोई भी व्यक्ति जिसकी हार्ट सर्जरी
-कैंसर सर्जरी
-दिल का दौरा
-हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त दिल के मरीज -कोरोनरी अर्टरी डिजीज
-मिर्गी
-सिजोफ्रेनिया
-एचआईवी
-हेपेटाइटिस बी एंड सी
-सिफलिस
-क्रोनिक किडनी रोग
-ऑटो इम्यून डिसऑर्डर
इस साल मेक्सिको अपने नेशनल ब्लड सेंटर के जरिए विश्व रक्तदाता दिवस 2022 की मेजबानी करेगा. इस ग्लोबल इवेंट को 14 जून 2022 को मैक्सिको सिटी में आयोजित किया जाएगा. ब्लड और ब्लड प्रोडक्ट्स के ट्रांसफ्यूजन से हर साल लाखों लोगों की जान बचाने में मदद मिलती है. ये उन रोगियों की मदद कर सकता है जिनका जीवन किसी गंभीर बीमारी के चलते खतरे में है. सही समय पर ब्लड मिलने से ऐसे लोग जीवन की उच्च गुणवत्ता के साथ लंबे समय तक जीवित रहते हैं.
इसके साथ ही ब्लड से कॉम्प्लेक्स मेडिकल और सर्जिकल प्रोसेस में सपोर्ट करता है. सुरक्षित और पर्याप्त ब्लड और ब्लड प्रोडक्ट्स तक पहुंच प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद गंभीर रक्तस्राव के कारण मृत्यु और विकलांगता की दर को कम करने में मदद कर सकती है.
विश्व रक्तदान दिवस का महत्व
विश्व रक्तदाता दिवस का उद्देश्य सेफ ब्लड और ब्लड प्रोडक्ट्स की आवश्यकता के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है. ये दिन स्वैच्छिक (वॉलेंटरी), अवैतनिक (अनपेड) ब्लड डोनर्स को उनके लाइफ सेविंग उपहारों (ब्लड) के लिए धन्यवाद देने का भी एक अवसर है.
विश्व रक्तदान दिवस का इतिहास
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 2005 से इस दिन को मनाने की शुरुआत की. विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसाइटीज की एक संयुक्त पहल द्वारा 2005 में पहली बार इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. तब से हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. ये दिवस कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन के दिन मनाया जाता है.
ठियोग के गांव मझोली के निवासी नरेश शर्मा 112 बार रक्तदान कर चुके हैं और उनका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है. पहली बार उन्होंने 1996 में रक्तदान किया था. उसके बाद वह नियमित रूप से तीन महीने में रक्तदान करना नहीं भूलते.
उपनिदेशक स्वास्थ्य डॉ. रमेश चंद मरीजों के इलाज के साथ अब तक 78 बार रक्तदान कर चुके हैं. उनका कहना है कि जब वह 1984 में 21 साल के थे और आईजीएमसी शिमला में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र थे तो उन्होंने पहली बार खून दिया. यह सिलसिला आज तक चला है और वह 59 साल के हो चुके हैं. उनका ओ नेगेटिव ग्रुप दुर्लभ है.
बिलासपुर जिला के घुमारवीं के निवासी राहुल वर्मा ने लगभग 50 बार रक्तदान किया है. उन्होंने 18 की उम्र में रक्तदान की शुरुआत की. वह अब 42 साल के हो गए हैं। शिमला में हिमाचल प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम में उप प्रबंधक हैं। उनका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है. उन्होंने देवभूमि ब्लड डोनर नाम से सोशल मीडिया के फेसबुक और व्हाट्सऐप पर कई समूह बनाए हैं.