EX CJI On One Nation One Election: एक देश, एक चुनाव से लोकतंत्र मजबूत या कमजोर? पूर्व CJI चंद्रचूड़ की चेतावनी – छोटे दलों की आवाज दब सकती है।
देशभर में 'वन नेशन वन इलेक्शन' यानी एक देश, एक चुनाव की बहस एक बार फिर तेज हो गई है। इस बार चर्चा में हैं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़, जिन्होंने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से समर्थन दिया है।
EX CJI On One Nation One Election: देशभर में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी एक देश, एक चुनाव की बहस एक बार फिर तेज हो गई है। इस बार चर्चा में हैं भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़, जिन्होंने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से समर्थन दिया है। हालांकि, उन्होंने इसके साथ एक बड़ी चेतावनी भी दी है – इससे छोटे राजनीतिक दलों को नुकसान हो सकता है और वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हाशिए पर चले जा सकते हैं।
क्या कहा पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने?
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने एक शैक्षणिक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का विचार प्रशासनिक दृष्टिकोण से तो उचित है, क्योंकि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी और सरकारी तंत्र बार-बार चुनावी प्रक्रिया में नहीं उलझेगा। लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र में इस प्रणाली से छोटे और क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है।
उनके अनुसार, “यदि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो जाएंगे और स्थानीय समस्याएं पीछे छूट जाएंगी। इससे बड़े राष्ट्रीय दलों को लाभ होगा, जबकि छोटे क्षेत्रीय दलों को जनता तक अपनी बात पहुंचाना मुश्किल होगा।”
क्या है ‘वन नेशन वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का तात्पर्य है कि देश में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं। यह विचार पहली बार 1999 में विधि आयोग की रिपोर्ट में सामने आया था। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस विचार को फिर से जीवित किया और एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जिसकी अगुवाई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं।
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इसके संभावित फायदे:
- चुनावी खर्च में भारी कटौती
चुनाव आयोग, केंद्र और राज्य सरकारों को बार-बार चुनाव कराने में काफी धन खर्च करना पड़ता है। एकसाथ चुनाव से इस खर्च में भारी कमी आ सकती है।
- प्रशासनिक स्थिरता और विकास पर ध्यान
बार-बार लगने वाले आचार संहिता से विकास कार्य रुक जाते हैं। अगर चुनाव एक साथ हों, तो विकास योजनाओं को स्थिरता मिलेगी।
- मतदाताओं की भागीदारी में इजाफा
एक बार में मतदान होने से लोगों की भागीदारी बढ़ सकती है क्योंकि बार-बार चुनाव होने से लोग चुनावों के प्रति उदासीन हो जाते हैं।
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पूर्व CJI की चिंता लोकतंत्र में विविधता का क्षरण
हालांकि, चंद्रचूड़ का यह भी कहना है कि भारत की लोकतांत्रिक संरचना विविधता पर आधारित है। ऐसे में यदि केवल बड़े दलों की आवाज ही गूंजे और छोटे दल पीछे छूट जाएं, तो यह लोकतंत्र की आत्मा के विपरीत होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि “हर राज्य की अपनी सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक समस्याएं हैं। यदि चुनाव एक साथ होंगे तो उन स्थानीय मुद्दों की अनदेखी होगी जो सिर्फ क्षेत्रीय दल उठा पाते हैं।”
पूर्व CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ का समर्थन इस बात का संकेत है कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विचार पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता है। जहां एक ओर यह प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टि से लाभदायक प्रतीत होता है, वहीं दूसरी ओर यह लोकतंत्र में भागीदारी और विविधता को कमजोर कर सकता है।
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