Shrinath Khandelwal Death New: 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक की वृद्धाश्रम में अटक गईं जिंदगी की सांसे, बिजनेसमैन बेटा-बेटी ने फोन तक नहीं उठाया
Passed away:वाराणसी के पद्मश्री सम्मानित साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल, 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक, का वृद्धाश्रम में निधन हो गया। अध्यात्म और शिव पुराण पर 100 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले खंडेलवाल को परिवार ने संपत्ति लेकर अकेला छोड़ दिया। अंतिम समय में वह वृद्धाश्रम में समाजसेवियों की मदद पर निर्भर रहे, और परिवार ने उनके अंतिम संस्कार तक में भाग नहीं लिया। यह घटना समाज और पारिवारिक मूल्यों पर गहन प्रश्न उठाती है।
Uttar Pradesh News Watch Breaking: करोडों की प्रॉपर्टी के मालिक व करीब 500 किताबें लिखने वाले श्रीनाथ खंडेलवाल की वृद्ध आश्रम में सांसे टूट गई। अंतिम समय में कोई अपना शव यात्रा में नहीं आया। कहा जाता है कि, 80 करोड़ की सम्पत्ति के मालिक श्रीनाथ खंडेलवाल को उनके अपने बेटे व बेटी ने घर से निकाल दिया था। और जब उनकी जिंदगी के सांसे थम गई तो समाजसेवी अमन कबीर ने उनका दाह संस्कार किया।
अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म आई थी बागबान। पिता पुत्र के रिश्तों पर आधारित ये फिल्म समाज के लिए एक संदेश बनी। इसमें प्रॉपर्टी के लिए बेटों ने पिता को घर से निकाल दिया। ‘बागबान’ जैसी ही रियल कहानी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यानी कि वाराणसी में देखने को मिली है। यहां संपत्ति की लालच में बेटे और बेटी ने पिता को मरणासन्न अवस्था में छोड़ दिया। बीते शनिवार को 80 साल की उम्र एक सहित्याकार श्रीनाथ खंडेलवाल आंतिम सांस ली।
वाराणसी के रहने वाले प्रसिद्ध लेखक एसएन खंडेलवाल (श्रीनाथ खंडेलवाल) एक अनाथालय में जीवन बिताने के लिए मजबूर थे। श्रीनाथ खंडेलवाल मार्च 2024 से काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में रह रहे थे। उनका परिवार उनसे अलग हो गया था, और वो अपनी 80 करोड़ की संपत्ति से बेदखल कर दिए गए थे। खंडेलवाल 400 से अधिक किताबें लिख चुके हैं। उनकी किताबें फिल्पकार्ट और अमेजन पर भी उपलब्ध हैं।
लावारिस की तरह गैरों ने किया अंतिम संस्कार
अस्पताल से खंडेलवाल के निधन की सूचना मिलने के बाद अमन कबीर और उनके दोस्तों ने उनका अंतिम संस्कार किया। उनके बेटे, जो बड़े बिजनेसमैन हैं, ने आने से मना कर दिया, और बेटी ने फोन तक नहीं उठाया। बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। दामाद भी सुप्रीम कोर्ट में ही प्रैक्टिस करते हैं।
बेटे ने कहा था- लाश को बाहर फेंक देना
कुछ समय पहले मीडिया से बात करते हुए भारी मन से खंडेलवाल ने कहा था कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को बाहर फेंक देना। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे दुखी हैं। इस कारण वृद्धाश्रम में आ गए। बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया। श्रीनाथ खंडेलवाल ने 400 से अधिक किताबें लिखीं, जिनमें शिव पुराण, तंत्र विद्या और अध्यात्म पर आधारित साहित्य प्रमुख था। उन्हें 2023 में पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया था। बावजूद इसके, उनका जीवन एक त्रासदी में बदल गया।
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परिवार ने छोड़ा अकेला
काशी के निवासी श्रीनाथ खंडेलवाल का भरा-पूरा परिवार है। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। बेटा एक सफल व्यवसायी है और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर कार्यरत है। इतनी बड़ी संपत्ति के मालिक होने के बावजूद, श्रीनाथ ने अपने अंतिम दिन वृद्धाश्रम में बिताए।
उनके परिवार ने उनकी संपत्ति अपने नाम कर ली और उन्हें बेसहारा छोड़ दिया। किसी प्रकार के पारिवारिक सहयोग के अभाव में उन्हें काशी के कुष्ठ वृद्धाश्रम में समाजसेवी अमन की मदद से शरण मिली। वहां करीब दस महीने से वह निशुल्क सेवा का लाभ उठा रहे थे। हालांकि, इस दौरान परिवार का कोई सदस्य उनसे मिलने नहीं आया।
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संपत्ति और समाज की विडंबना
श्रीनाथ खंडेलवाल का जीवन यह सोचने पर मजबूर करता है कि पैसा और प्रतिष्ठा जीवन का आधार नहीं हो सकते। भले ही वह 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक थे, लेकिन उनकी मृत्यु के समय उनके पास परिवार का साथ नहीं था।
साहित्य और अध्यात्म में योगदान
श्रीनाथ खंडेलवाल का जीवन साहित्य और अध्यात्म को समर्पित था। उन्होंने अपने लेखन से समाज को नई दिशा दी। उनकी किताबें आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं। शिव पुराण और तंत्र विद्या पर उनके लेखन को विशेष रूप से सराहा गया।
उनके निधन के बाद, समाज के विभिन्न वर्गों में यह चर्चा तेज हो गई कि कैसे परिवार ने उन्हें उनके अंतिम दिनों में बेसहारा छोड़ दिया। यह घटना परिवार और समाज के मूल्यों पर गहन चिंतन का विषय बन गई है।यह कहानी एक चेतावनी है कि हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान और उनकी देखभाल करनी चाहिए, चाहे हमारी व्यक्तिगत परिस्थितियां कैसी भी हों।
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