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NEWS WATCH INDIA: प्रधानमंत्री मोदी ने प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन पर शोक व्यक्त किया।

उन्होंने एक संस्थान निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाई, युवा दिमागों के लिए सीखने और नवाचार के केंद्रों को तैयार किया। उनके लेखन ने विज्ञान को आम नागरिकों तक पहुंचाने में भी एक लंबा सफर तय किया है। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना।

PM MODI CONDOLES THE DEMISE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारत के सबसे प्रतिष्ठित खगोल वैज्ञानिकों में से एक डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। एक्स पर एक भावपूर्ण पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा: “डॉ. जयंत नार्लीकर (Dr. Jayant Narlikar) का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वे एक महान हस्ती थे, खासकर खगोल भौतिकी के क्षेत्र में। उनके अग्रणी कार्यों, खासकर प्रमुख सैद्धांतिक रूपरेखाओं को शोधकर्ताओं की पीढ़ियों द्वारा महत्व दिया जाएगा।

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उन्होंने एक संस्थान निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाई, युवा दिमागों के लिए सीखने और नवाचार के केंद्रों को तैयार किया। उनके लेखन ने विज्ञान को आम नागरिकों तक पहुंचाने में भी एक लंबा सफर तय किया है। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना। ओम शांति।” डॉ. नार्लीकर का मंगलवार को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके करीबी सहयोगियों के अनुसार, पखवाड़े भर पहले उनके कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर की सर्जरी हुई थी और वे घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे। सैद्धांतिक खगोल भौतिकी के क्षेत्र में एक महान हस्ती, डॉ. नार्लीकर को सर फ्रेड हॉयल के साथ बिग बैंग सिद्धांत के विकल्प-स्थिर अवस्था मॉडल- का प्रस्ताव देने के लिए जाना जाता था। उनके योगदान ने भारतीय विज्ञान को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

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उन्होंने पुणे में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (IUCAA) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्होंने युवा वैज्ञानिकों की पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया और भारत के आधुनिक खगोल भौतिकी परिदृश्य को आकार देने में मदद की। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र, डॉ. नार्लीकर ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के साथ भी काम किया।

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Written by ।Pramod Sharma। EDITORIAL DESK

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