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Punjab-Haryana Water Dispute: पंजाब का हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार, पंजाब विधानसभा में पारित हुए छह महत्वपूर्ण प्रस्ताव

पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चला आ रहा जल विवाद एक बार फिर तेज़ हो गया है। इसी कड़ी में सोमवार को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें जल बंटवारे और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से जुड़ी गंभीर चिंताओं पर चर्चा हुई। इस सत्र में सर्वसम्मति से छह प्रस्ताव पारित किए गए.

Punjab-Haryana Water Dispute: पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से चला आ रहा जल विवाद एक बार फिर तेज़ हो गया है। इसी कड़ी में सोमवार को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें जल बंटवारे और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से जुड़ी गंभीर चिंताओं पर चर्चा हुई। इस सत्र में सर्वसम्मति से छह प्रस्ताव पारित किए गए, जो राज्य के जल अधिकारों की रक्षा को लेकर पंजाब सरकार के सख्त रुख को दर्शाते हैं।

हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने से इनकार

पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने सत्र के दौरान भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब हरियाणा को अपने हिस्से से एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं देगा। उन्होंने बताया कि पंजाब मानवता के आधार पर पहले ही 4,000 क्यूसेक पानी दे रहा है, लेकिन इसके अलावा और पानी छोड़ने का कोई सवाल नहीं उठता।

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बीबीएमबी पर कठपुतली बनने का आरोप

गोयल ने बीबीएमबी पर केंद्र सरकार और विशेषकर बीजेपी की कठपुतली बनकर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बोर्ड पंजाब की बात नहीं सुनता और उसके जल अधिकारों को कमजोर करने की साजिश रच रहा है। उन्होंने बीबीएमबी की कार्यप्रणाली को असंवैधानिक करार दिया और इसके पुनर्गठन की मांग की।

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विधानसभा में पारित हुए प्रमुख प्रस्ताव

अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाएगा: पंजाब ने तय किया है कि वह अपने हिस्से से एक बूंद भी अतिरिक्त पानी हरियाणा को नहीं देगा। मानवता के आधार पर जो 4,000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है, वह जारी रहेगा।

बीबीएमबी का पुनर्गठन: बोर्ड को केंद्र सरकार की कठपुतली बताते हुए इसे पुनर्गठित करने की मांग की गई है ताकि पंजाब के हितों की रक्षा हो सके।

नई जल संधि की मांग: सतलुज, ब्यास और रावी नदियों में अब पहले जितना पानी नहीं बचा है। ऐसे में 1981 की संधि अप्रासंगिक हो गई है और नई संधि की आवश्यकता है।

बीबीएमबी की मीटिंग नियमों के तहत हो: बोर्ड द्वारा गैरकानूनी तरीके से देर रात मीटिंग बुलाए जाने का विरोध किया गया है। नियमों के पालन की मांग की गई है।

जल वितरण में बीबीएमबी की भूमिका सीमित हो: भाखड़ा डैम (Bhakra Dam) से किस राज्य को कितना पानी दिया जाना है, ये 1981 की जल संधि में लिखा गया है। यह स्पष्ट किया गया है कि बीबीएमबी के पास 1981 की जल संधि में बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसा कोई भी निर्णय असंवैधानिक होगा।

डैम सेफ्टी एक्ट 2021 का विरोध: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए इस कानून का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की गई है क्योंकि यह राज्यों के अधिकारों को सीमित करता है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान का बयान

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार ने पंजाब के खेतों तक नहरों का जाल बिछाकर सिंचाई व्यवस्था को मजबूत किया है। उन्होंने बताया कि 2021 तक जहां केवल 22% खेतों को नहरों से पानी मिलता था, अब यह आंकड़ा 60% तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब के पास अब अतिरिक्त पानी नहीं बचा है जिसे किसी अन्य राज्य को दिया जा सके।

पंजाब सरकार का यह रुख जल संसाधनों की गंभीर कमी और राज्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। जल विवाद के इस नए दौर ने एक बार फिर केंद्र और राज्यों के बीच अधिकारों की खींचतान को उजागर किया है।

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Sarita Maurya

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