Rajasthan Cyber Crime 2025: राजस्थान बना साइबर ठगों का अड्डा, 18 महीनों में 1,923 करोड़ की ठगी
राजस्थान अब केवल ऐतिहासिक किलों और रेगिस्तानी संस्कृति के लिए नहीं, बल्कि साइबर ठगों के गढ़ के रूप में भी चर्चा में है। हाल ही में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच राजस्थान के नागरिकों को 1,923 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का सामना करना पड़ा है। ये आंकड़े न सिर्फ चिंताजनक हैं, बल्कि राज्य में डिजिटल सुरक्षा व्यवस्था की हकीकत को भी उजागर करते हैं।
Rajasthan Cyber Crime 2025: देशभर में बढ़ती साइबर ठगी के बीच एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान अब साइबर ठगों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है। जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच सिर्फ राजस्थान में ही लोगों को 1,923 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया है। वहीं, पूरे देश में इस दौरान कुल 33,888 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई, जो देश की आर्थिक सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
सरकारी रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान में साइबर अपराधियों की सक्रियता काफी बढ़ गई है, और इन ठगों ने सिर्फ डेढ़ साल में बैंकों, निवेश प्लेटफॉर्म और फर्जी एप्स के जरिए हजारों लोगों को अपना शिकार बनाया है।
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18 महीनों में 33 हजार करोड़ की ठगी
देशभर में जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच 19 लाख साइबर फ्रॉड केस सामने आए। इन मामलों में कुल 33,888 करोड़ रुपये की ठगी की गई, जिसमें अकेले राजस्थान का हिस्सा 1,923 करोड़ का है। राज्य में दर्ज शिकायतों से पता चलता है कि ठगों ने सबसे ज्यादा शिकार ग्रामीण और कस्बाई इलाकों के लोगों को बनाया।
राजस्थान में हर छह महीने में बढ़ती गई साइबर ठगी
जनवरी–जून 2024: ₹654 करोड़
जुलाई–दिसंबर 2024: ₹841 करोड़
जनवरी–जून 2025: ₹428 करोड़
इन आंकड़ों से साफ है कि राज्य में हर छह महीने के अंतराल में ठगी के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
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बैंकिंग फ्रॉड सबसे आगे
साइबर ठगी के तरीकों में सबसे बड़ा हिस्सा बैंकिंग और फाइनेंशियल फ्रॉड का रहा जिसमें ₹9,000 करोड़ से अधिक की ठगी हुई। अन्य प्रमुख कैटेगरी में:
इनवेस्टमेंट फ्रॉड: ₹4,610 करोड़
लोन और क्रेडिट स्कैम: ₹3,550 करोड़
रिटेल फ्रॉड: ₹2,250 करोड़
फर्जी ऐप्स और डिजिटल लोन: ₹1,610 करोड़
साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार, 2024 में जहां फिशिंग लिंक, व्हाट्सएप स्कैम और फर्जी UPI फ्रॉड का बोलबाला था, वहीं 2025 की पहली छमाही में डिजिटल लोन ऐप्स और सरकारी योजनाओं के नाम पर लोगों को ठगने के मामले तेजी से बढ़े हैं।
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थानों में शिकायतों को नहीं मिल रही गंभीरता
रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि अधिकांश पुलिस थानों में साइबर ठगी की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जाता, जिससे आम जनता को न तो त्वरित न्याय मिल रहा है और न ही फ्रॉड को रोकने के ठोस प्रयास हो पा रहे हैं।
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