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Uttarakhandiyat: ‘उत्तराखंडियत’ पुस्तक का विमोचन, हरीश रावत ने साझा की पहाड़ की पीड़ा

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुस्तक ‘उत्तराखंडियत’ का हल्द्वानी में भव्य विमोचन हुआ, जिसमें उत्तराखंड की संस्कृति और पहाड़ की पीड़ा को उजागर किया गया। पुस्तक में राज्य के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं को रावत के अनुभवों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। इस अवसर पर रावत ने पलायन, बेरोजगारी और विकास की कमी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चिंता भी जताई।

Uttarakhandiyat: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा लिखित पुस्तक ‘उत्तराखंडियत’ का भव्य विमोचन शनिवार की शाम हल्द्वानी के एक प्रतिष्ठित होटल में किया गया। इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति, वरिष्ठ पत्रकार और राजनेता मौजूद रहे, जिन्होंने कार्यक्रम की गरिमा को और अधिक बढ़ा दिया।

विमोचन समारोह में वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री और अपूर्व जोशी की उपस्थिति विशेष रही। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, विधायक सुमित हृदयेश और कांग्रेस के अन्य प्रमुख कार्यकर्ता भी इस आयोजन का हिस्सा बने।

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पुस्तक में झलकता है पहाड़ का दर्द और संस्कृति

हरीश रावत की यह पुस्तक उत्तराखंड की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि को उजागर करती है। उन्होंने बताया कि ‘उत्तराखंडियत’ में उनके जीवन के अनुभवों के साथ-साथ राज्य के लोक जीवन, परंपराओं और पहाड़ी उत्पादों की अहमियत को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से उन्होंने पहाड़ों की जीवनशैली, काष्ठकला, जल स्रोतों और लोक कलाओं का उल्लेख करते हुए राज्य की आत्मा को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

रावत ने बताया कि उनका जीवन पहाड़ और उसकी संस्कृति को समर्पित रहा है, और यह पुस्तक उसी समर्पण का परिणाम है। पुस्तक में न केवल उनकी मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल की योजनाओं का विवरण है, बल्कि यह भी दर्शाया गया है कि कैसे पहाड़ों की समस्याएं अब भी यथावत बनी हुई हैं।

राज्य निर्माण का मकसद अधूरा, पलायन बना बड़ा संकट

पुस्तक विमोचन के दौरान हरीश रावत ने पहाड़ों में हो रहे निरंतर पलायन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी, वह आज भी पूरा नहीं हो पाया है। गांवों से हो रहा पलायन, खाली होते घर और बेरोजगारी की बढ़ती समस्या राज्य के सामने गंभीर चुनौती बन चुकी है।

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रावत ने आशंका जताई कि यदि इसी तरह से हालात बने रहे, तो भविष्य में उत्तराखंड के गांव केवल ‘गुलदारी गांव’ बनकर रह जाएंगे। पहाड़ों से मैदानी इलाकों की ओर लोगों का बढ़ता रुख न केवल सांस्कृतिक क्षति है, बल्कि यह शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ बढ़ने का कारण भी बन सकता है।

सेना के पराक्रम की सराहना, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बताया गर्व का क्षण

विमोचन कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने भारतीय सेना के हालिया अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तान को संघर्ष विराम की पहल करने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने इसे देश के लिए गौरव का क्षण बताया और सेना को बधाई दी।

राजनीतिक संदेश भी साफ, कांग्रेस को बताया एकजुट होने की जरूरत

अपने संबोधन में हरीश रावत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं से भी आह्वान किया कि आगामी चुनावों में एकजुट होकर पार्टी को मजबूत करें। उन्होंने 2022 के चुनावों की गलतियों से सीखने की बात कही और कहा कि यदि कांग्रेस एक मंच पर आकर कार्य करे, तो जनता का समर्थन निश्चित रूप से मिलेगा।

‘उत्तराखंडियत’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आत्मा और पहाड़ की पीड़ा की अभिव्यक्ति है। इस विमोचन कार्यक्रम ने न केवल साहित्यिक और सांस्कृतिक संवाद की शुरुआत की, बल्कि यह प्रदेश की राजनीति में भी एक नया संदेश लेकर आया। हरीश रावत का यह प्रयास पहाड़ की समस्याओं को नई रोशनी में सामने लाता है और एक सकारात्मक विमर्श को जन्म देता है।

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