Series of road accidents in Uttarakhand: उत्तराखंड में सड़क हादसों का सिलसिला नहीं थमा, 24 साल में 20,000 से अधिक जानें गईं
series of road accidents in Uttarakhand: The series of road accidents has not stopped in Uttarakhand, more than 20,000 lives have been lost in 24 years
Series of road accidents in Uttarakhand: उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुए एक भीषण बस हादसे में 36 लोगों की मौत से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। सोमवार, 4 नवंबर को यह दुर्घटना तब हुई जब यात्रियों से भरी बस गहरी खाई में जा गिरी। इस हृदयविदारक हादसे ने एक बार फिर उत्तराखंड में सड़क हादसों की गंभीर समस्या को उजागर किया है। राज्य में आए दिन होने वाली इन घटनाओं ने यहां सड़क सुरक्षा के प्रबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 24 सालों में उत्तराखंड में सड़क हादसों के कारण 20,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि यह प्रदेश सड़कों पर आए दिन होने वाले हादसों के दुष्चक्र में फंसा हुआ है। वहीं, पिछले 5 सालों में ही 5,500 से ज्यादा लोग इन हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं। पुलिस और परिवहन विभाग के लगातार प्रयासों के बावजूद, सड़क हादसों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है।
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के कारण
उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण यहां की कठिन भौगोलिक परिस्थिति और खराब मौसम माने जाते हैं। पहाड़ी इलाकों में संकरी सड़कों, अंधे मोड़ों और खस्ताहाल सड़कों के चलते हर साल बड़ी संख्या में दुर्घटनाएं होती हैं। इसके अलावा, ओवरलोडिंग, वाहनों की खराब स्थिति, तेज रफ्तार, शराब पीकर गाड़ी चलाने और मानवीय लापरवाही जैसे कारण भी इन हादसों के पीछे हैं। अधिकतर मामलों में हादसे के बाद मजिस्ट्रेट जांच बिठाई जाती है, लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं होने से परिणाम अनदेखे रह जाते हैं।
हाल के वर्षों में हुई बड़ी दुर्घटनाएं
हाल के महीनों में कई बड़े हादसे उत्तराखंड में हुए हैं, जिनमें कई मासूम जानें चली गईं। सितंबर में टिहरी जिले में एक मैक्स वाहन खाई में गिर गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई। अक्टूबर में टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग क्षेत्र में सेना का एक ट्रक पलट गया, जिसमें कुछ सैनिक घायल हुए। वहीं, अक्टूबर के महीने में अल्मोड़ा जिले में एक टेम्पो ट्रैवलर दिल्ली से जागेश्वर जाते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें 17 लोग घायल हुए। इसके अलावा, चमोली जिले में भी एक कार दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
अक्टूबर के अंत में, रुद्रप्रयाग जिले के रैंतोली क्षेत्र में एक टेम्पो ट्रैवलर अलकनंदा नदी में गिर गया, जिसमें 10 लोगों की जान चली गई। इन घटनाओं से यह साफ हो जाता है कि उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाएं एक सामान्य बात हो गई हैं। खासकर चारधाम यात्रा के दौरान जब लाखों श्रद्धालु पहाड़ी मार्गों से यात्रा करते हैं, तो खराब मौसम और अनुभवी चालकों की कमी के कारण दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ जाता है।
सरकार और प्रशासन के प्रयास अधूरे
सड़क हादसों की रोकथाम के लिए सरकार और प्रशासन की ओर से समय-समय पर कई प्रयास किए गए हैं। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा पर बैठकें होती हैं, और जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। इसके बावजूद सड़क हादसों की संख्या में गिरावट नहीं आई है। मुख्यमंत्री द्वारा मजिस्ट्रेट जांच के आदेश देने के बावजूद, समय पर कार्रवाई न होने से सड़क हादसों में कमी नहीं देखी जा रही है।
राज्य सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, लेकिन वे कागजों तक ही सीमित रह गई हैं। इसके अलावा, सड़कें सुधारने के काम में भी सुस्ती देखी गई है, जिससे हादसों की संख्या में कमी नहीं आ रही है।