Manipur Violence: मणिपुर में पिछले दो महीने से जारी हिंसा पर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से रिपोर्ट की मांग की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा है कि पिछले दो महीने से मणिपुर में हिंसा जारी है। हर रोज यहां किसी न किसी इलाके में हिंसा की खबरें आती है।
ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अब तक हिंसा (Manipur Violence) रोकने के लिए क्या कदम उठाये गए हैं इसकी विस्तृत रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर जमा करें। अदालत अब इस मामले में अगली सुनवाई दस जुलाई को करेगी। वही सरकार की ओर से सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। उन्होंने अदालत को बताया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाये गए कदमों से अब धीरे -धीरे मणिपुर की स्थिति में सुधार हो रहा है।
बता दें कि बीते रविवार और सोमवार को भी मणिपुर के कई इलाके से हिंसक झड़पों की खबरें आई है। रविवार को विष्णुपुर और चुराचांदपुर बॉर्डर पर दोनों मैतेई और कुकी समुदाय के लोग भीड़ गए थे जिसमे पांच लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे जबकि गोलीबारी में तीन लोगों की जान चली गई थी। बीते सोमवार को भारी हिंसक घटनाएं हुई जिसमें कई लोग घायल हुए है। एक व्यक्ति का बेरहमी से सिर भी काट दिया गया है। सच यही है मणिपुर (Manipur Violence) के हालत अभी भी गंभीर है और हर दिन वहां हिंसक घटनाएं घट रही है।
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मणिपुर (Manipur Violence) में 3 मई से हिंसक घटनाएं जारी है। कुकी और नाइटी समुदाय के बीच जारी इस हिंसा में अब तक 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जबकि हजारों लोग घायल है। 80 हजार से ज्यादा लोग विस्थापन के शिकार हैं। जो लोग विस्थापन के शिकार हैं उनकी हालत और भी ख़राब हो गई है। बच्चों की पढ़ाई बंद जीवन जीने की तमाम सुविधाओं से वंचित हैं। राज्य में आग लगने की ही पांच हजार से ज्यादा घटनाएं हो चुकी है। आम लोग सभी सुविधाओं से वंचित हैं।
मणिपुर की हालत ऐसी है कि कब इंसान की जान चली जाए कोई नहीं जानता। किसका घर कब जल उठे किसी को पता नहीं। इस हिंसा को लेकर अब तक 6 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किये गए हैं। करीब दो सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। हालात इतने खराब है कि सूबे में 36 हजार सुरक्षाकर्मी और 40 बड़े अधिकारी तैनात किये गए हैं।