Supreme Court Verdict: महाराष्ट्र में एक साल से चल रही राजनीतिक उठापठक आज थम गई है सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र की शिंदे सरकार का भविष्य तय कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट(supreme court) ने कहा उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)ने फ्लोर टेस्ट का सामना नही किया. उन्होने स्वेच्छा (willingly)से इस्तीफा दिया था ऐसे में अदालत इस्तीफा को रद्द तो नही कर सकती है हम पुरानी सरकार को बहाल नही कर सकते है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत भी ठहराते हुए कहा कि सदन के स्पीकर की ओर से प्रस्तावित स्पीकर गोगावले को चीफ व्हिप नियुक्त करना अवैध फैसला था .सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा अगर स्पीकर के खिलाफ हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो वो विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले सकते.
चुनाव चिन्ह को लेकर अदालत ने कहा कि चिन्ह निर्धारित करने से चुनाव आयोग पर रोक थाम नही लगाई जा सकती. और उसे उसकी संविधानिक (constitutional) जिम्मेदारी निभाने से नहीं रोका जा सकता. अगर राज्यपाल को लगता है कि सरकार अविश्वास मत से बचना चाहती है तो उन्हें फ्लोर टेस्ट ( Floor Test)का ऑडर देने का अधिकार है, तब सरकार की सहमति की ज़रूरत नहीं है.
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बता दें कि कोर्ट ने अपने फैसले सुनाते हुए कहा तब विधानसभा सत्र (assembly session)नहीं चल रहा था, कोई अविश्वास प्रस्ताव भी विपक्ष ने नहीं दिया था लेकिन जो प्रस्ताव राज्यपाल ( Governor)को मिले, उनसे साबित नहीं किया जा सकता कि वो सब विधायक सरकार से समर्थन वापस लेने जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट(supreme court) ने गवर्नर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनसे उम्मीद नहीं की जाती कि वो राजनीति(politics) का हिस्सा बने. अगर पार्टी में कोई आपस में विवाद है तो उसे सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट(floor test) नहीं हो सकता.