MP में अंग्रेजी नहीं आने पर मासूम को दी गई तालिबानी सजा, जिसे देखकर खौल जाएगा खून!
MadhyaPradesh News: एमपी के बैतूल में शासकीय स्कूल में इंग्लिश नहीं आने पर टीचर द्वारा नाबालिग बालिका के बाल उखाडऩे का एक ऐसा हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जो शिक्षा प्रणाली पर तमाम सवाल उठा रहा है। ये हैवानियत मानों कह रहीं हो कि सरकार चाहें कितना भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की बड़ी -बड़ी कागजी दावें कर ले। लेकिन ऐसे जाहिल और हैवान शिक्षक सरकार के उन दावों को पलीता लगाने को हमेशा तैयार रहते है। क्या कोई सोच भी सकता है कि सिर्फ अंग्रेजी कि पुस्तक न पढ़ पाने कि सजा एक मासूम को एक हैवान शिक्षिका ये देगी की उसके सिर के बाल को ही जड़ से उखाड़ देती है। ये मामला न सिर्फ हैरान कर देने वाला है बल्कि स्कूल में अपने मासूमों को भेजने वाले उन सभी अभिवावकों को परेशान कर देने वाला भी है।जो अपने मासूमों को ऐसे शिक्षकों के भरोसे उनके भविष्य को संवारने के लिए छोड़ देते हैं। हमारे देश में शिक्षकों को भगवान का दर्जा दिया जाता है , क्योंकि कहा जाता है कि वो गुरु ही होता है जो बच्चों को अंधेरे के रास्ते से भविष्य के उजाले तक ले जाता है। लेकिन आजकल ऐसी तस्वीरें आ रहीं हैं जो परेशान कर देने वालीं हैं… और ऐसे मामले ही गुरु शब्द से मासूमों का विश्वास उठा देते है।बैतुल का यह मामला बता रहा है कि यह शिक्षिका नहीं बल्कि तालिबानी आतंकी हो।
जानकारी के अनुसार खेड़लीबाजार के शासकीय बालक प्राथमिक शाला में कक्षा चौथी में पढऩे वाली छात्रा चेतना बामने के पिता उमेश बामने ने कलेक्टर की जनसुनवाई के दौरान आवेदन देकर शिकायत की है कि उनकी बेटी चेतना के साथ स्कूल की टीचर पूर्णिमा साहू के द्वारा इंग्लिश नहीं आने पर मारपीट करते हुए बाल खींचे जिससे बालिका के बाल उखड़ गए हैं। और उसे बहुत दर्द हो रहा है, घटना 15 दिसम्बर की बताई जा रही है।उमेश बामने ने बताया कि टीचर यह भी बोलती है कि उसकी बेटी स्कूल नहीं जाती है जबकि वह नियमित स्कूल जाती है। पिता से जब पूछा गया कि मामला 15 दिसबंर का तो शिकायत अभी क्यों कर रहे हैं तो उन्होनें शिकायत देरी से करने के पीछे कारण बताया कि चेतना की मां का निधन हो गया है और वह अकेले ही बेटी को पाल रहे हैं इस कारण शिकायत करने में देरी हो गई है।
जनसुनवाई के दौरान पिता ने बच्ची के साथ पहुंचकर स्कूल टीचर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है कि उनकी बच्ची के साथ बाल खींचकर पिटाई की गई जिसमें उसके बाल उखड़ गए हैं। मामले के सामने आने के बाद डीपीसी ने टीम गठित कर जांच कराने की बात की है। जनसुनवाई के दौरान की गई शिकायत को डीपीसी संजीव श्रीवास्तव ने सुना और इसके बाद पूरे मामले की जांच के लिए टीम भी गठित की है। डीपीसी श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूल की टीचर पूर्णिमा साहू के खिलाफ इंग्लिश नहीं आने पर तालिबानी सजा देने के मामले में बाल खींचने और पिटाई करने का आरोप लगाया है। इसकी जांच की जा रही है और जो तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्यवाई की जाएग। एक कहावत है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे..और कुछ इसी अंदाज में टीचर महोदया पूर्णिमा साहू ने इस मामले में अब अपनी सफाई भी दे डालीं ,, वो कह रहीं हैं कि बच्ची का पिता ही सायको है। और बच्ची का पिता उन्हें परेशान भी करता है कई बार जान से मारने की धमकी भी दे चुका है। टीचर महोदया कह रहीं हैं कि मेरे ऊपर जो आरोप लगाए गए हैं वह पूरी तरह से निराधार हैं। नहीं पढऩे पर बच्चों के साथ डांट होती है, हो सकता है कि बच्ची को भी मैंने डांटा होगा।लेकिन मुझे याद नहीं है की मारपीट और बाल उखाड़े जैसी कोई घटना नहीं हुई जो आरोप लगाए जा रहे हैं.. बहरहाल क्या सच है क्या झूठ है ये तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा लेकिन ऐसे मामले शिक्षा व्यस्था पर ऊंगुली जरुर उठा देती हैं।