Congress and Arogya Expo: देहरादून में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का शुभारंभ, इन देशों के प्रतिनिधि शामिल
The 10th World Ayurveda Congress and Arogya Expo: देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार आयोजित हुआ चार दिवसीय विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो। देहरादून के परेड ग्राउंड में इस भव्य आयोजन का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने किया। इस आयोजन में अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, इटली समेत 50 देशों के प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
The 10th World Ayurveda Congress and Arogya Expo: देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। राज्य में पहली बार वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो का आयोजन हुआ, जिसमें 50 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित इस चार दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने किया। इस भव्य आयोजन ने न केवल आयुर्वेद के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोले, बल्कि उत्तराखंड को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई।
आयुर्वेद और आधुनिकता का संगम
सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में आयुष विशेषज्ञों ने पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की जरूरत पर जोर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि आयुर्वेद, जो सदियों से भारतीय चिकित्सा प्रणाली की रीढ़ रहा है, अब आधुनिक विज्ञान और तकनीकी के साथ मिलकर जनता के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा, “देवभूमि उत्तराखंड में इस सम्मेलन का आयोजन हमारे लिए गर्व की बात है। यह सम्मेलन न केवल आयुर्वेदिक शोध और ज्ञान को साझा करने का मंच है, बल्कि व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने में भी कारगर साबित होगा। राज्य में पाई जाने वाली दुर्लभ जड़ी-बूटियां आरोग्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। आयुर्वेद का उद्देश्य केवल बीमारियों का इलाज करना नहीं है, बल्कि बीमारियों को जड़ से समाप्त करना और स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाना है।”
राज्य में आयुर्वेद और योग का विकास
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि उत्तराखंड सरकार आयुर्वेद और योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। प्रदेश के हर जिले में 50 बिस्तरों वाले आयुष अस्पताल स्थापित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, राज्य देश की पहली योग नीति लागू करने की दिशा में भी काम कर रहा है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान स्थापित करने का अनुरोध भी किया।
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आयुर्वेद का वैश्विक मंच
सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, और इटली समेत कई देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस आयोजन में 6,000 से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया, और अनुमान है कि चार दिनों में 25,000 से 30,000 लोग इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने कहा, “आयुर्वेद को लेकर लोगों में बढ़ती जागरूकता देखकर खुशी हो रही है। इस तरह के आयोजनों से भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल रही है। आयुष मंत्रालय इसी दिशा में लगातार काम कर रहा है और पूरे देश में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।”
उत्तराखंड: आयुर्वेद और योग की भूमि
उत्तराखंड, जिसे योग और आयुर्वेद की भूमि के रूप में जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक संपदा और जड़ी-बूटियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस सम्मेलन ने प्रदेश को अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने का मौका दिया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह आयोजन उत्तराखंड की प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर ले जाने का काम करेगा।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के प्रयासों का भी सम्मेलन में उल्लेख किया गया। उन्होंने कहा कि योग और आयुर्वेद को दुनिया भर में मान्यता मिली है और लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं।
सम्मेलन की विशेषताएं
सम्मेलन में 8 विभागों के स्टॉल लगाए गए, जहां आयुर्वेद से संबंधित उत्पाद और सेवाओं को प्रदर्शित किया गया।
दुर्लभ जड़ी-बूटियों के हिंदी और अंग्रेजी नामों का प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया गया।
आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए।
आयोजन का उद्देश्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाना और इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ जोड़ना था।
संभावनाओं का मंथन
सम्मेलन में किए गए विचार-विमर्श से आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में कई नई संभावनाएं खुलने की उम्मीद है। सीएम धामी ने इसे “मंथन से अमृत निकालने” की प्रक्रिया बताया, जो मानवता के लिए लाभदायक होगा।
आगे की राह
देहरादून में आयोजित यह सम्मेलन न केवल आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि उत्तराखंड के विकास और पहचान को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा। आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में यह कदम भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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