UP Etah News: मोक्ष धाम में रखी अस्थियां वर्षों से अपनों का कर रही इंतजार
The bones kept in Moksha Dham have been waiting for their loved ones for years
UP Etah News: एटा के भूतेश्वर स्थित श्मशान घाट में मृतकों की अस्थियां लाल कपड़े से बंधे बर्तनों में गंगा में विसर्जित करने की उम्मीद में रखी हुई हैं और मोक्ष की तलाश में भटक रही हैं। 1976 मृत आत्माए जिनको उनके अपनों ने ही भुला दिया।
बता दे कि, एटा जनपद के भूतेश्वर स्थिति शमशान स्थल मोक्ष धाम में 1976 ऐसे लोगों की अस्थिया पिछले पांच सालों से भी अधिक समय से गंगा में प्रवाहित होने और मोक्ष प्राप्त करने की आस में रखी है जो या तो लावारिस हैं या उनको उनके प्रिय परिजन बेटे लेने ही नहीं आये। ये अस्थियां अपने होने का दावा कर अंतिम संस्कार कर उनकी अस्थियां छोड़ गए लोगों का वर्षों से इंतजार कर रही हैं। कब अपने आयेंगे और इन अस्थियों को गंगा में विसर्जित करेंगे और तब जाकर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी, लेकिन इन अस्थियों को आज भी अपनों का इंतजार बना हुआ है। वैसे तो इन दिनों श्राद्ध का महीना चल रहा है। भारतीय संस्कृति में इस माह में लोग अपने बड़े बुजुर्गों को अच्छे अच्छे पकवान बना कर मान पक्षों को खिलाते हैं। पशु पक्षियों को भी खिलाते हैं। ये माना जाता है की इस माह में श्राद्ध खिला कर अपने गुजरे हुए बुजुर्गों को याद कर मान सम्मान किया जाता है, लेकिन भूतेश्वर में रखी ये अस्थियां बता रही हैं कि लोगों की मानसिकता कितनी गिर गई है कि वह अपनों को ही भूले बैठे हैं।
एटा स्थिति भूतेश्वर मोक्ष धाम की देख रेख करने वाले संतोष साहू ऊर्फ बंगाली बाबा ने बताया कि इनमे से तीन से चार लोगों की सौ अस्थियां एटा से बाहर अन्य जनपदों के लोगों की रखीं हैं।
भारतीय संस्कृति के अनुसार, मृत्यु के बाद व्यक्ति की चिता से निकाली गई अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित किया जाना चाहिए, तभी व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एटा में मोक्ष धाम की व्यवस्था देखने वाले बंगाली बाबा जो यहां 27 साल से कार्यरत हैं बताते हैं कि 60/70 तो उन लोगों की अस्थियां हैं जो अपने ही माता पिता की अस्थिया दाह संस्कार के बाद 5 साल से लेने नहीं आये।
बंगाली बाबा ने बताया कि जिनका कोई बारिश नहीं उनका मैं बारिश हूँ। उन्होंने कहा कि अभी 1976 लोगों की अस्थियां उनके पास रखी हैं जब 2001 अस्थियां हो जाएंगी तब इन सबको गाजे बाजे के साथ सोरों गंगा जी ले जाकर पूरे हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार गंगा में प्रवाहित किया जायेगा उसके बाद वहीं पर भंडारा भी होगा। तभी इनको मोक्ष मिल सकेगा।
उन्होंने बताया जिनको उनके अपनों ने ही बिसरा दिया उनकी अस्थियां तक लेने नहीं आए, जिनका कोई वारिस नही उन सभी लावारिस का मैं वारिस हूँ और मैं ये काम करूंगा।
70 वर्षीय बंगाली बाबा का असली नाम संतोष साहू है और वें अपने बेटे और बहू के साथ यहां रहते हैं। बेटा यहां मेहनत मजदूरी करता हैं। इनका दूसरा बेटा बंगाल में रहता है। इनके तीन नातिन हैं।
इनको एटा नगर पालिका की और से 7000 रुपये मासिक मिलता है उसी से ये अपना और परिवार का गुजारा चलाते हैं। इनको दाह संस्कार करवाने आने वाले लोग 100/200 रुपये दे जाते हैं यही इनकी इनकम है।