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Kailash Mansarovar Yatra: टनकपुर से पहले जत्थे की रवाना, मुख्यमंत्री धामी ने हरी झंडी दिखाकर किया शुभारंभ

उत्तराखंड के टनकपुर से कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का पहला जत्था रवाना हुआ, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरी झंडी दिखाकर शुभारंभ किया। करीब पांच साल बाद यात्रा दोबारा शुरू हुई है और अब यह टनकपुर–चंपावत मार्ग से संचालित होगी। वापसी में तीर्थयात्रियों को मानस खंड कॉरिडोर के प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कराए जाएंगे। Ask ChatGPT

Kailash Mansarovar Yatra: करीब पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ उत्तराखंड के टनकपुर मार्ग से शनिवार को हुआ। इस पावन यात्रा के पहले जत्थे को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत जिले के टनकपुर स्थित ट्रांजिट कैंप (टीआरसी) से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं सुनिश्चित की थीं।

तीर्थयात्रियों का हुआ भव्य स्वागत

यात्रा से एक दिन पहले शुक्रवार शाम को मुख्यमंत्री धामी टनकपुर पहुंचे और तीर्थयात्रियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएं दीं। इस दौरान उन्होंने यात्रियों के ठहरने, खान-पान और यात्रा मार्ग की व्यवस्थाओं का भी निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार यात्रियों को सुलभ, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।

मुख्यमंत्री ने यात्रियों से संवाद करते हुए यात्रा मार्ग की जानकारी ली और उनकी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को अब हर साल टनकपुर–चंपावत मार्ग से संचालित किया जाएगा, जिससे क्षेत्र का सामाजिक और आर्थिक विकास भी सुनिश्चित हो सकेगा।

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पांच साल बाद फिर शुरू हुई यात्रा

कोविड-19 महामारी और भौगोलिक कारणों से बाधित रही कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच वर्षों बाद दोबारा शुरू की गई है। पहले यह यात्रा उत्तराखंड के काठगोदाम मार्ग से संचालित होती थी, लेकिन अब इसे टनकपुर मार्ग से शुरू किया गया है। यात्रा का यह नया मार्ग पहले से अधिक सुगम और व्यवस्थित बताया जा रहा है।

चार जुलाई की सुबह पहला जत्था उत्तराखंड पहुंचा था, जो शुक्रवार शाम तक टनकपुर टीआरसी में विश्राम हेतु रुका रहा। वहां यात्रियों ने विश्राम किया और तैयारियों के बाद शनिवार को यात्रा के अगले पड़ाव के लिए प्रस्थान किया। जत्थे में 45 श्रद्धालु शामिल हैं, जो देश के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचे हैं।

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मानस खंड कॉरिडोर से जुड़ेंगे तीर्थ स्थल

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी घोषणा की कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने के लिए एक नई योजना तैयार की गई है। इसके तहत वापसी के दौरान तीर्थयात्रियों को उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों जैसे पाताल भुवनेश्वर, चौकोड़ी, जागेश्वर धाम और कैंची धाम के दर्शन कराए जाएंगे। यह पहल ‘मानस खंड कॉरिडोर’ के अंतर्गत की जाएगी, जिससे तीर्थ यात्रियों को आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता का भी परिचय मिलेगा।

सुविधाओं का जिम्मा कुमाऊं मंडल विकास निगम को

पूरी यात्रा की संचालन व्यवस्था की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को सौंपी गई है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए विशेष तैयारी की गई है। यात्रियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, ठहरने की व्यवस्था, मार्गदर्शन और स्थानीय सहयोग जैसे सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है।

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निगम की ओर से यह भी जानकारी दी गई है कि हर पड़ाव पर हेल्थ चेकअप, भोजन, संचार सेवाएं और विश्राम गृह उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा यात्रा मार्ग पर आपातकालीन सहायता टीम भी तैनात की गई है, जो किसी भी प्रकार की आपदा या स्वास्थ्य संकट की स्थिति में तत्काल सेवा प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री की यात्रा को लेकर प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल धार्मिक महत्व की नहीं, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन और सांस्कृतिक विस्तार का माध्यम भी है। उन्होंने कहा कि यह सरकार का संकल्प है कि आने वाले वर्षों में इस यात्रा को और अधिक सुगम, भव्य और व्यवस्थित बनाया जाएगा।

धामी ने कहा, “टनकपुर से होकर शुरू हुई यह यात्रा अब एक नई परंपरा का हिस्सा बनेगी। सरकार यात्रियों की सुविधाओं और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यात्रा मार्ग का लगातार विकास करती रहेगी।”

कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का पहला जत्था उत्साह और श्रद्धा के साथ उत्तराखंड से रवाना हो चुका है। टनकपुर से यात्रा की यह नई शुरुआत उत्तराखंड के लिए न केवल धार्मिक, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार की कोशिशों से यह यात्रा अब और अधिक सुरक्षित, सुव्यवस्थित और समृद्ध बनती जा रही है। यात्रियों में भी इस बात को लेकर उत्साह है कि वर्षों बाद एक बार फिर से वे कैलाश के दर्शन की पावन यात्रा पर निकले हैं।

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