PM Modi Lashed Out भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में संविधान पर बहस हुई। शनिवार को संविधान पर चर्चा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कहा कि संविधान की 75 साल की यात्रा एक यादगार यात्रा है और दुनिया के सबसे महान और सबसे बड़े लोकतंत्र की यात्रा है। अनुच्छेद 370 को लेकर पीएम ने कहा कि अनुच्छेद 370 देश की एकता में बाधा थी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है।
अनुच्छेद 370 को जमीन में दफना दिया गया- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के 75 साल की यात्रा एक यादगार यात्रा है और दुनिया के सबसे महान और सबसे बड़े लोकतंत्र की यात्रा है। यह 75 साल पूरे होने पर जश्न का क्षण है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हम अपनी नीतियों को देखें तो हम भारत की एकता को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास करते रहे हैं। अनुच्छेद 370 देश की एकता में दीवार बन गया था, लेकिन देश की एकता हमारी प्राथमिकता थी, इसीलिए हमने अनुच्छेद 370 को जमीन में दफना दिया।
1975 की इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस पर हमला
1975 की इमरजेंसी को लेकर विपक्ष पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान को 75 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन 25 साल का अपना महत्व है, 50 साल और 60 साल का भी अपना महत्व है। जब देश संविधान के 25 साल देख रहा था, उसी समय हमारे देश में संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं। इमरजेंसी लगा दी गई, लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को खत्म कर दिया गया, देश को जेलखाना बना दिया गया, नागरिकों के अधिकारों को लूटा गया, प्रेस की आजादी पर ताला लगा दिया गया।
कांग्रेस के माथे पर लगा ये पाप कभी नहीं मिट सकता। जब भी दुनिया में लोकतंत्र की चर्चा होगी, कांग्रेस का ये पाप कभी नहीं मिटेगा, क्योंकि लोकतंत्र का गला घोंटा गया। कांग्रेस ने लगातार संविधान का अपमान किया है। संविधान के महत्व को कम किया है। बहुत कम लोग जानते हैं कि 35A को संसद में लाए बिना ही देश पर थोप दिया गया। जम्मू-कश्मीर में जो हालात पैदा हुए, वो नहीं होते। इनके (कांग्रेस के) पेट में पाप था।
नेहरू से राजीव तक, राहुल ही निशाने पर
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नेहरू जी ने जो शुरू किया, इंदिरा जी ने उसे आगे बढ़ाया और राजीव जी ने उसे और मजबूत किया, सहारा दिया और पोषित किया। क्योंकि संविधान से छेड़छाड़ की आदत बहुत गहरी हो गई थी। अगली पीढ़ी भी इस छेड़छाड़ में शामिल हो गई। इंदिरा गांधी के खिलाफ उनके चुनावी केस में फैसला देने वाले जस्टिस एचआर खन्ना उनके गुस्से का निशाना बने। जस्टिस खन्ना वरिष्ठता के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने की कतार में थे और उन्हें जानबूझकर चीफ जस्टिस का पद नहीं दिया गया। यह संविधान और लोकतंत्र की घोर अवहेलना थी।