Tiger conservation in Uttarakhand: उत्तराखंड में बाघ संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए राज्य सरकार ने “बाघ रक्षक योजना” को मंजूरी दे दी है। इस योजना का उद्देश्य न केवल बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि राज्य के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रजातियों जैसे हॉग डियर और मगरमच्छों की घटती संख्या पर भी शोध करना है।
टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन की बैठक में हुई योजना की घोषणा
यह फैसला वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में हुई टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के शासी निकाय की 10वीं बैठक में लिया गया। बैठक में बाघ संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई। वन मंत्री ने “बाघ रक्षक योजना” को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए।
योजना के मुख्य चरण और प्रावधान
बाघ रक्षक योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
पहला चरण: इस चरण में राज्य के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में बाघ संरक्षण स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थानों में जैव विविधता दीवारें और प्रकृति क्लब बनाए जाएंगे, ताकि युवा पीढ़ी को प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सके।
दूसरा चरण: इसमें आम जनता और कॉर्पोरेट क्षेत्र को इस अभियान से जोड़ा जाएगा। जनता के सहयोग से बाघों की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयास सुनिश्चित किए जाएंगे।
जीवन बीमा कवरेज: योजना के तहत टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन ने नेचर गाइड और फ्रंटलाइन कर्मचारियों को 10 लाख रुपये तक के जीवन बीमा कवरेज की व्यवस्था की है। यह कदम इन कर्मचारियों की सुरक्षा और प्रोत्साहन के लिए उठाया गया है।
पर्यटन और शोध को भी बढ़ावा
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के पर्यटक क्षेत्रों में बने वॉच टावर का इस्तेमाल पर्यटन गतिविधियों के लिए किया जाएगा। यह पर्यटकों को न केवल रिजर्व की प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने का अवसर देगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन को भी प्रोत्साहित करेगा।
इसके अलावा, हॉग डियर और मगरमच्छों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए इन प्रजातियों पर शोध करने की मंजूरी दी गई। ये दोनों प्रजातियां पारिस्थितिकी तंत्र की महत्वपूर्ण कड़ियां मानी जाती हैं, और उनके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है।
वन विश्राम गृहों को अपग्रेड करने की योजना
टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन ने कार्बेट टाइगर रिजर्व के वन विश्राम गृहों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की भी योजना बनाई है। इससे पर्यटकों और शोधकर्ताओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और रिजर्व का समग्र विकास होगा।
जैव विविधता संरक्षण में उत्तराखंड का अहम कदम
उत्तराखंड सरकार का यह निर्णय न केवल बाघ संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने के लिए एक दूरदर्शी कदम है। “बाघ रक्षक योजना” के माध्यम से सरकार युवाओं, आम जनता और कॉर्पोरेट क्षेत्र को साथ लाकर जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक नई मिसाल कायम करने की कोशिश कर रही है।
यह योजना न केवल बाघों की संख्या बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि अन्य वन्यजीव प्रजातियों और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगी।