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jahangirpuri violence case: क्या पूर्व नियोजित थी जहांगीरपुरी की शोभायात्रा  पर पथराव और पत्थरबाजी !

नई दिल्ली: हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में निकाली गई शोभायात्रा  पर पथराव और हिंसा एकाएक नहीं हुई थी। यह एक समुदाय विशेष के लोगों की पूर्व नियोजित योजना थी। इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता। पुलिस अभी इस मामले में जांच होने तक कुछ भी कहने से बच रही है, लेकिन पुलिस प्रशासन को देर- सवेर इस सच्चाई को उजागर करना ही होगा।

दिल्ली के जहांगीरपुरी, सी ब्लाक स्थित कुशल चौक के पास एक धार्मिक स्थल के पास शनिवार को हनुमान जन्मोत्सव के मौके पर निकाली जा रही शोभायात्रा पर पथराव के बाद हिंसा की घटना हुई थी। शोभायात्रा पर हुए पथराव में तमाम हनुमान भक्त और पुलिसकर्मी घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस इस मामले में एक दर्जन से अधिक उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है।

सीसीटीवी कैमरो की फुटेज से आरोपियों की पहचान

पथराव और हिंसा की इस वारदात में शामिल दर्जनों आरोपियों की पहचान सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और घटना के समय बनायी गई वीडियो के आधार पर की जा चुकी है। कहा जा रहा है कि इनमें अधिकांश आरोपी कानून की गिरफ्त से बचने के लिए फरार हो चुके हैं। दिल्ली पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए दस टीमें बनायी हैं और इन पुलिस टीमों ने आरोपियों की धड़पकड़ के लिए छापेमारी शुरु भी कर दी।

धार्मिक कट्टरवादी सोच वालों ने की हिंसा

इस मामले में भले ही कोई जनहानि नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से पत्थरबाजों ने कई राउंड़ गोलियां चलाईं, कई दुकानों में आगजनी की, गाड़ियों में तोड़फोड़ की, यह सब एक विशेष समुदाय से संबंध रखने वाले असामाजिक तत्वों और धार्मिक कट्टरवादी सोच रखने वाले लोगों की योजना का हिस्सा था।

रोहिंग्या और स्थानीय अपराधियों के गठजोड़ की आशंका

इस बात की पूरी आशंका है कि घटना में बंगलादेशी घुसपैठिये, रोहिंग्या और स्थानीय अपराधियों का गठजोड़ हो। पुलिस रिकार्ड के अनुसार जहांगीरपुरी में सबसे ज्यादा सक्रिय अपराधी हैं और वर्ष 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में इस क्षेत्र में रहने वाली तीन सौ महिलाओं की भागीदारी सामने आयी थी। ये सब महिलाएं अल्पसंख्यक समुदाय के ताल्लुक रखती थीं और स्थानीय असामाजिक तत्वों और अपराधियों ने धन बल पर इनका इस्तेमाल दंगा कराने में किया था।

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जहांगीरपुरी पेशेवर अपराधियों के लिए सुरक्षित शरणगाह

दिल्ली पुलिस के बड़े अधिकारी स्वीकार करते हैं कि जहांगीरपुरी इलाके पेशेवर अपराधी सुरक्षित शरणगाह मानते हैं, क्योंकि यहां की घनी बस्ती में ज्यादातर बाहर के राज्यों से आये लोग रहते हैं, जिनके चरित्र, प्रवृति और काम धंधे की जानकारी मूल निवासियों को नहीं होती। वे ज्यादा किसी से घुलते-मिलते भी नहीं है। तमाम लोगों के संदिग्ध होने का शक होने पर दूसरे लोग उनकी असलियत जानने में रूचि नहीं रखते। इसलिए कुछ लोग अपराधी तत्वों को अपना रिश्तेदार बताकर बड़ी आसानी से शरण दे देते हैं और फिर उनके साथ मिलकर गैर कानूनी कामों को बढ़ावा देते हैं।

देश के गद्दारों पर शिकंजा कसने की तैयारी  

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि ये लोग राजधानी के अलग-अलग इलाकों में आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं और मौका पाते ही दंगा, हिंसा और उपद्रव करने जैसे कृत्यों को अंजाम देने से भी पीछे नहीं रहते। दिल्ली के शाहीन बाग में एनआरसी के खिलाफ महीनों तक चले धरने में जहांगीरपुरी में रहने वाले सैंकड़ों महिलाओं और पुरूषों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। यहां रहने वाले कुछ लोगों का काम ही देश विरोधी गतिविधियों की चलाना होता है, इसके लिए देश के ही कुछ गद्दार उन्हें मोटी रकम उपलब्ध कराते हैं। पुलिस अब ऐसे लोगों के चिन्हित करके उन पर भी शिंकजा कसने की तैयारी कर रही है।  

admin

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