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Maharashtra Political Crisis: उद्धव ठाकरे ही नहीं, बालासाहेब भी हो गये थे विधायकों के बगावती तेवर के शिकार

नई दिल्ली: एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर से महाराष्ट्र की राजनीति में संकट पैदा हो गया है। उद्धव ठाकरे इस्तीफा भी दे सकते है। कुर्सी जाने के बाद उद्धव ठाकरे के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती होगी शिवसेना में पड़ी फुट को रोकना। ये कोई पहली बार नहीं है कि शिवसेना में फूट पड़ा हो। इससे पहले भी वर्ष 2006 में राज ठाकरे के कारण शिवसेना में बड़ी फूट पड़ी थी। अब 2022 में शिवसेना के दूसरे सबसे बड़े नेता एकनाथ शिंदे के बागी होने से शिवसेना के सामने साख बचाने की चुनौती आ खड़ी हुई है ।
वर्ष 1966 में मराठी अस्मिता के नाम पर गठित शिवसेना में अब तक 5 से 6 बार बड़े नेताओं ने बगावती तेवर अपनाएं । बगावती तेवर अपनाने वाले में छगन भुजबल, नारायण राणे, संजय निरुपम से लेकर गणेश नाइक तक का बडें नाम है।

एकनाथ शिंदे : शिवसेना के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे आनंद दिघे के शागिर्द रहे एकनाथ शिंदे ने हाल ही में संपन्न राज्य सभा और विधान परिषद चुनाव के बाद शिवसेना से बगावत कर दी है।

राज ठाकरे : बाल ठाकरे के राजनीतिक वारिस माने जाने वाले उनके ही भतीजे राज ठाकरे ने बगावत कर दिया। उन्होंने समर्थकों के साथ शिवसेना छोड़ दी।

Maharashtra Political Crisis
उद्धव ठाकरे

नारायण राणे : बालासाहेब ने मनोहर जोशी की जगह नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया था, फिर भी 2005 में नारायण राणे ने 10 समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

गणेश नाइक : वर्ष 1995 में विधायक बनने के बाद नाइक को उम्मीद थी कि युति सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण मंत्री पद मिलेगा। लेकिन, उन्हें पर्यावरण मंत्री और ठाणे का पालक मंत्री बना दिया गया। इससे नाराज हुए नाइक वर्ष 1999 में गठित शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी में शामिल हो गए थे।

छगन भुजबल: शिवसेना में रहे दलितों के बड़े नेता छगन भुजबल ने शिवसेना के दिग्गज नेता मनोहर जोशी से विवाद और पार्टी में नेता पद ने मिलने से नाराज होकर वर्ष 1991 में शिवसेना छोड़ दी। भुजबल के साथ 9 विधायक भी थे, जो कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

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Team News Watch India

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