नई दिल्ली। एक सप्ताह से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोनिया गांधी की खूब फजीहत करा रहे हैं। गहलोत ने सोनिया को बखूबी अपनी ताकत का अहसास करा दिया है।
सोनिया गांधी का गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव से बाहर करना मजबूरी था। गहलोत खुद मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ना चाहते थे। सोनिया राजस्थान में सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी सौंपना चाहती थीं। लेकिन गहलोत की बगावत के चलते वे ऐसा नहीं कर सकीं।
अब सोनिया पर गहलोत को ही सीएम बनाये रखने का भारी दबाव है। गहलोत की शह पर उनके समर्थक विधायक सोनिया को नीचा दिखाने पर तुले हैं। विधायकों ने साफ कहा है कि सोनिया गांधी अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री रहने की घोषणा करें। इसके बाद ही वे अपने इस्तीफे वापस लेगें। यह सीधे-सीधे ब्लैकमेलिंग है।
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अशोक गहलोत ने गांधी परिवार के खिलाफ खुल कर बगावत की। लेकिन सोनिया गांधी उनका कुछ नहीं बिगाड़ पायीं। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गहलोत के सामने कमजोर साबित हुईं।
यहां तक की राजस्थान भेजे गये पर्यवेक्षकों से बदसलूकी हुई। इस मामले में सोनिया के इशारे पर गहलोत को क्लीन चिट देनी पड़ी। सोनिया की यही भूल अब बडी मुसीबत साबित हो रही है। गहलोत समर्थक विधायक सोनिया गांधी के वजूद को सीधी चुनौती दे रहे हैं। यह गांधी परिवार घोर अपमानजनक नहीं तो और क्या है?
सोनिया गांधी गहलोत को सीएम पद पर बनाये रखती हैं। यदि ऐसा हुआ तो यह सोनिया की बहुत बड़ी हार होगी। अशोक गहलोत फिर से सोनिया गांधी पर भारी माने जाएंगे। यदि वे सचिन पायलट का पक्ष में निर्णय लें तो राजस्थान में कांग्रेस के हाथ से सत्ता जा सकती है। दोनों ही स्थितियों में सोनिया के निर्णय अब आत्मघाती साबित होंगे।