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ममता बनर्जी ‘बंग्लादेशी महिला’ को क्यों बनाना चाहती थीं विधायक? कोलकाता हाईकोर्ट ने ठहराया अवैध

नई दिल्ली: पश्चमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गत विधान सभा चुनाव में एक बंग्लादेशी महिला आलो रानी सरकार को अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को टिकट देने में फंस गयी हैं। ममता की पार्टी की नेत्री आलो रानी को कलकत्ता हाईकोर्ट ने बांग्लादेशी नागरिक माना है। टीएमसी नेत्री पर दोहरी नागरिकता रखने का आरोप सिद्ध हुआ है। भारत में दोहरी नागरिकता मान्य नहीं है, इसलिए आलो रानी के साथ-साथ विदेशी नागरिक को चुनाव लड़ाने पर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

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पश्चमी बंगाल में वर्ष 2021 में हुए विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आलो रानी सरकार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के टिकट पर बोगांव दक्षिण सीट से उम्मीदवार बनाया था, हालांकि वह भाजपा उम्मीदवार से स्वप्न मजूमदार से हार गयी थीं। आलो रानी ने मजूमदार की जीत को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी, लेकिन जस्टिस विवेक चौधरी ने यह कहकर उनकी याचिका खारिज कर दी थी कि बांग्लादेशी नागरिक होने के कारण उन्हें याचिका दाखिल करने का अधिकार ही नहीं है।

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कलकत्ता हाईकोर्ट में आलो रानी सरकार ने भारतीय पासपोर्ट, भारतीय मतदाता सूची में नाम, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि दस्तावेज पेश करते हुए खुद के भारतीय होने का दावा किया था, लेकिन उनके बांग्लादेशी नागरिक से शादी करने और बांग्लादेश की मतदाता में नाम है और उन्होने बांग्लादेश की नागरिकता भी ले रखी है। भारत में दोहरी नागरिकता मान्य नहीं है, इसलिए उनके खिलाफ समुचित धाराओं में कार्रवाई की जानी चाहिए।

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दरअसल आलो रानी सरकार बांग्लादेशी ही हैं। उनके भाई और पिता समर हलधर बांग्लादेश के नचरावाद में रहते हैं। आलो रानी ने हुगली को अपना जन्म स्थान होने का दावा करते हुए जन्म वर्ष 1969 बताया था, जो झूठा निकला। उन्होने 2012 में भारतीय मतदाता सूची में अपना नामदर्ज करवा लिया था और भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि दस्तावेज बनवा लिये थे। अदालत ने इस सबकी भी जांच के लिए कहा है, जिससे आने वाले समय में आलो रानी के साथ-साथ ममता बनर्जी की भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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Team News Watch India

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